Chandrayaan-3 मिशन के अब सिर्फ 10 दिन बाकी, दो अहम उद्देश्य हुए पूरे, तीसरा टास्क चुनौतीपूर्ण

चंद्रयान -3 का रोवर मॉड्यूल प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है। इसरो वैज्ञानिक छह पहियों वाले रोवर के जरिए अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहे हैं।

Praygan and Vikram

चंद्र अभियान के अब सिर्फ 10 दिन बाकी

Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर एक चंद्र दिवस पूरा होने में अब सिर्फ 10 दिन बाकी हैं। इसी के साथ इसरो भी तेजी से टास्क पूरे करने की कवायद में लगा है। दो टास्क सफलतापूर्व पूरे हुए हैं, अब तीसरे टास्क को पूराा कराने की चुनौती है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक, नीलेश एम देसाई ने कहा कि चंद्रयान -3 का रोवर मॉड्यूल प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है। इसरो वैज्ञानिक छह पहियों वाले रोवर के जरिए अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहे हैं। देसाई ने कहा कि असली काम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ही शुरू होता है।

ये भी पढ़ें- नॉर्थ ईस्ट में तैयार हो रहा पहला अंतर्राष्ट्रीय रेलवे स्टेशन, भूटान-म्यांमार के लिए मिलेगी ट्रेन

सॉफ्ट लैंडिंग का लक्ष्य हासिल

उन्होंने कहा, 23 अगस्त को हमने चंद्रमा की सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का लक्ष्य हासिल किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई देने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। लेकिन, असली काम लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान के बाहर निकलने के बाद शुरू हुआ। इसरो के प्रमुख केंद्रों में से एक अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक ने कहा कि चंद्र मिशन के तीन मुख्य उद्देश्य थे- चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग, छह पहियों वाले रोवर और लैंडर विक्रम से जुड़े पेलोड के जरिए डेटा प्राप्त करना। हमारे दो मुख्य उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं, अब तीसरा उद्देश्य चल रहा है।

चंद्रमा में 14 दिन का अभियान, अब 10 दिन बाकी

देसाई ने कहा, हमारा ध्यान रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जितनी संभव हो उतनी दूरी तय करने पर है ताकि यह अधिक प्रयोग कर सके और हम डेटा प्राप्त कर सकें। हमारे पास इस मिशन के लिए कुल मिलाकर केवल 14 दिन हैं, जो चंद्रमा पर एक दिन के बराबर है। चार दिन पूरे हो चुके हैं। बाकी 10 दिनों में हम जितना अधिक प्रयोग और शोध कर पाएंगे, वह महत्वपूर्ण होगा। हम समय के खिलाफ दौड़ लगा रहे हैं क्योंकि इन 10 दिनों में हमें अधिकतम काम करना है और इसरो के सभी वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।

प्रज्ञान ने रोजाना 30 मीटर की जगह 12 मीटर की ही दूरी तय की

वैज्ञानिकों के सामने आ रही कठिनाइयों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि रोवर ने चंद्रमा की सतह पर रोजाना 30 मीटर की निर्धारित दूरी के मुकाबले केवल 12 मीटर की दूरी तय की है। हमें रोवर की आवाजाही के संबंध में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कुछ सेवाएं यहां उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण दृश्यता में समस्याएं आ रही हैं। इससे पहले रविवार को इसरो ने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल ने अपने प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम देना शुरू कर दिया है और इसरो के मुख्यालय में डेटा भेजा है। इसरो ने रविवार को विक्रम लैंडर पर 'ChaSTE' पेलोड द्वारा रिकॉर्ड किए गए पहले अवलोकनों को सामने रखा।

चंद्रमा पर तापमान का आकलन किया गया

चंद्रमा पर तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्र का सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) पेलोड संलग्न किया गया था। पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद के सहयोग से अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल), वीएसएससी के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया है। चंद्र सतह पर 50-55 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान महसूस किया गया है। इसरो ने रविवार को एक ग्राफ साझा किया, जिसमें चंद्रमा की सतह और उसके नीचे के तापमान में बदलाव दिखाया गया है।

भारत ने लगाई ऐतिहासिक छलांग

भारत ने 23 अगस्त को अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाई जब चंद्रयान -3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा। यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। इसी के साथ भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला देश चौथा देश बन गया। (एएनआई)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited