Delhi Pollution: आज भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, प्रदूषण के मामले में 5 साल का टूटा रिकॉर्ड

Delhi Pollution: राजधानी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। आज भी एनसीआर के अधिकांश इलाके प्रदूषण की मोटी चादर में लिपटे हुए नजर आए।

Delhi AQI today, day after Diwali, Delhi records its poorest air quality in 5 years
Delhi Pollution: प्रदूषण के मामले में टूटा 5 साल का रिकॉर्ड 
मुख्य बातें
  • दिल्ली में प्रदूषण से आज भी राहत नहीं, पहुंचा खतरनाक स्तर पर
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक कई इलाकों में 600 के पार पहुंचा
  • दिवाली के अगले दिन प्रदूषण ने तोड़ा पांच साल का रिकॉर्ड

नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर में आज भी प्रदूषण से बुरा हाल है। शनिवार सुबह-सुबह राजधानी सहित एनसीआर के अधिकांश इलाके प्रदूषण की चादर में लिपटे नजर आए। दिल्ली में वायु गुणवत्ता (Air Quality Index) 400 से ऊपर है जो काफी खतरनाक माना जाता है। वहीं दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के लिए पटाखों और पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया है। मौसम विभाग की मानें तो फिलहाल प्रदूषण का संकट मंडराता रहेगा।

खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

 वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली के मुताबिक, दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 533 पर है।  दिल्ली से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) - कनॉट प्लेस में पीएम10 654 पर, पीएम 2.5 628 पर; PM10 382 पर और PM2.5 341 पर बना हुआ है। दिल्ली की बात करें तो आईजीआई एयरपोर्ट के पास अभी AQI 429, बवाना इलाके में 459, आईटीओ में 463, नजफगढ़ 433, पंजाबी बाग 466, आनंद विहार 470, दिलशाद गार्डन में एक्यूआई 436 दर्ज किया गया। 

पांच साल का रिकॉर्ड टूटा

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, दिवाली के अगले दिन दिल्ली में पिछले पांच साल में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। पटाखे फोड़े जाने और पराली जलाए जाने की घटनाओं के चलते औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 दर्ज किया गया। यह पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि हरित दिवाली मनाने को लेकर समझ का अभाव इसके बड़े कारणों में एक है क्योंकि लोग मानते हैं कि त्योहार और पटाखे एक दूसरे के पूरक हैं।

पटाखों पर रोक

गौरतलब है कि त्योहारों से पहले दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण रोक लगा दी थी और इनकी बिक्री और इस्तेमाल के खिलाफ आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान शुरू किया था। विशेषज्ञों ने हालांकि माना कि इस मौसम में प्रदूषण के अन्य कारकों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पालावत ने तापमान में गिरावट और हवा की गति में आई कमी को शहर के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया।

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