Ramayana Travel Guide (photo: canva)
Complete Ramayana Route: रामायण सदियों से हम सबके दिलों में बसी हुई है। भगवान राम को करीब से समझने के लिए इस बार आपको कुछ अलग और हटकर ट्रैवल प्लान करना चाहिए। अगर आप आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रेमी हैं तो एक अद्भुत यात्रा आपका इंतजार कर रही है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक फैली हुई ये अनोखी रामायण यात्रा आपको भगवान राम को करीब से जानने का मौका देगी। रामायण यात्रा का पूरा रूट यहां डिटेल में और आसान भाषा में बताया गया है जिसे जानकर आप भी फटाफट से ट्रिप का प्लान कर सकते हैं। ये यात्रा आपके लिए एक सपनों जैसा सफर साबित हो सकती है जिसके माध्यम से ना केवल आप रामजी के चरणों का अनुसरण करेंगे, बल्कि अपने भीतर की शांति को भी महसूस कर पाएंगे।
यात्रा की शुरुआत आपको अयोध्या से करनी है। उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है। भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन करने के अलावा यात्रा के दौरान गलियों में घूमते हुए आप रामलीला, भजन-कीर्तन और अन्य धार्मिक आयोजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। सरयू आरती और सरयू घाट पर स्नान आपको एक अद्भुत आध्यात्मिक शांति देंगे। अयोध्या में आप दो रात के स्टे में लगभग सभी जगहें देख सकते हैं।
अयोध्या कैसे पहुंचें: अयोध्या जंक्शन और फैजाबाद जंक्शन इसके नजदीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। भारत के प्रमुख शहरों जैसे- दिल्ली, लखनऊ, पटना, वाराणसी से अयोध्या के लिए सीधी रेल लाइनें उपलब्ध हैं। लखनऊ का चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट इसके निकटतम एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस के द्वारा अयोध्या पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से यहां जाने में करीब 3-4 घंटे का समय लगता है। नेशनल हाइवे से यही अच्छा तरह से कनेक्टेड है। दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, और नजदीकी शहरों से अयोध्या के लिए नियमित बसें चलती हैं।
अयोध्या के प्रमुख आकर्षण: श्री राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी, कनक भवन, नया घाट / राम की पौड़ी, सरयू नदी, दशरथ महल, सीता रसोई और गुलाब बाड़ी यहां के प्रमुख आकर्षण हैं।
अयोध्या में रहने के ऑप्शन: स्टे के लिए आपको यहां किफायती दाम में तमाम ऑपशन मिल जाएंगे। अगर आप बजट में ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो श्रीराम वन गेस्ट हाउस आपके लिए बेहतर विकल्प होगा जो परिवार और तीर्थयात्रियों के लिए उपयुक्त है। राम जन्मभूमि के नजदीक अगर आप स्टे चाहते हैं तो होटल रामभवन का रुख कर सकते हैं।
श्री राम की आरंभिक शिक्षा अयोध्या के पास महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में हुई थी। उन्होंने ही भगवान श्री राम का नामकरण भी किया था। मौजूदा समय में यह जगह बस्ती मानी जाती है जहां महर्षि वशिष्ठ का आश्रम भी स्थित है। यहां के दर्शन आप अयोध्या ट्रिप के साथ ही कर सकते हैं। दोनों जगहों के बीच की दूरी ज्यादा नहीं है।
वहीं श्री राम चंद्र ने महर्षि विश्वामित्र से भी शिक्षा ग्रहण की थी। मान्यता है कि महर्षि विश्वामित्र से उन्होंने धनुर्विद्या और शस्त्र विद्या ग्रहण की थी। उनके मार्गदर्शन में ही भगवान राम ने राक्षसों का वध किया था और सीता स्वयंवर में भाग लिया था। यह जगह मौजूदा समय में बिहार के बक्सर में मानी जाती है। यहां बड़ी संख्या में श्री राम के भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
बक्सर के प्रमुख आकर्षण: यहां आप रामायणकाल के प्रतीक माने जाने वाले विश्वामित्र आश्रम के अलावा बिहारी जी मंदिर, त्रिपुर सुंदरी मंदिर, बक्सर किला, मुनि की रेती, केशोपुर गंगा स्नान घाट और रामरेखा गंगा घाट आदि स्थल जरूर देखें।
बक्सर कैसे पहुंचे: रेल और सड़क मार्ग से बक्सर सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां आपको ठहरने के लिए अच्छे विकल्प मिल जाएंगे। अगर आप गया जी जाएं तो रामायण का एक पड़ाव - बक्सर भी हो कर आ सकते हैं।
सीता माता की जन्मभूमि जनकपुर को माना जाता है। नेपाल के तराई इलाके में स्थित जनकपुर ही वो जगह है जहां भगवान राम और सीता का विवाह हुआ था।काठमांडू से जनकपुर की दूरी तकरीबन 246 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से अगर आप यात्रा कर रहे हैं तो यहां पहुंचने में लगभग 7–8 घंटे का समय लग सकता है।
जनकपुर के प्रमुख आकर्षण स्थल: जनक मंदिर, विवाह मंडप, राम मंदिर, गंगा सागर कुंड, धनुष सागर कुंड, धनुषधाम, सती माई मंदिर यहां के प्रमुख आकर्षण स्थल हैं।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित श्रृंगवेरपुर नगरी वह जगह है जहां भगवान राम ने लक्ष्मण और सीता माता के साथ अपनी वनवास यात्रा के दौरान कुछ समय बिताया था। माना जाता है कि श्रृंगवेरपुर के पास के वनों में भगवान राम एक दिन रुके थे। उसके बाद गंगा नदी को पार करके वह कुरई गांव में गए थे। जनकपुर से श्रृंगवेरपुर की कुल दूरी लगभग 500 से 560 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से यहां पहुंचने में 10–11 घंटे का समय लग सकता है।
श्रृंगवेरपुर के प्रमुख आकर्षण स्थल: राम मंदिर और घाट, प्राचीन पुल, गंगा तट, निषादराज गुह की भूमि यहां के प्रमुख आकर्षण है इसके अलावा गंगा आरती और दर्शन का हिस्सा भी आप बन सकते हैं।
भगवान राम अपने वनवास के दौरान प्रयाग में तपस्या करने के बाद यमुना पार कर चित्रकूट के लिए निकले थे। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित चित्रकूट उनके वनवास का प्रमुख स्थान था। चित्रकूट में भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान लंबा समय व्यतीत किया था। श्रृंगवेरपुर से चित्रकूट की दूरी लगभग 110 से 120 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से अगर आप जा रहे हैं तो यात्रा में लगभग 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है।
चित्रकूट के प्रमुख आकर्षण: कामदगिरी पर्वत, राम घाट, गुप्त गोदावरी गुफाएं, हनुमान धारा, सती अनुसूया आश्रम, भरत मिलाप मंदिर, वल्मीकि आश्रम, स्फटिक शिला यहां के प्रमुख आकर्षण हैं।
चित्रकूट में रहने की प्रमुख व्यवस्थाएं: जरूरत के अनुसार यहां होटल, धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। अगर आप बजट ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो ₹300 से ₹800 प्रतिदिन के खर्चे पर आपको बजट होटल मिल जाएंगे। राम घाट के पास, करवी शहर और कामदगिरी पर्वत के पास स्टे के बेहतरीन विकल्प हैं।
उस समय के भारत के दक्षिण और मध्य हिस्से में फैला दंडकारण्य वन हजारों कोस में फैला हुआ है। यह वन भगवान राम के वनवास का प्रमुख स्थल रहा है। अहल्यादेवी की मुक्ति, विभीषण का राम से मिलना इसी जंगल से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों को यह जंगल कवर करता है। चित्रकूट से लगभग 850 से 890 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है।
दंडकारण्य वन के प्रमुख आकर्षण: राम वन गमन पथ, कैयकुंभा, शबरी आश्रम, दंडकारण्य महात्म्य स्थल यहां के प्रमुख आकर्षण स्थल हैं।
रहने की व्यवस्था: यहां ठहरने की सुविधाएं सीमित और बेहद साधारण है। नजदीकी कस्बों और शहरों जैसे- सतना और जबलपुर के होटल में आप स्टे कर सकते हैं। इको टूरिज्म ऑपरेटर जंगल में कैम्पिंग का भी आयोजन करते हैं जिसके लिए आपको पहले से बुकिंग करनी होती है।
रामायण में एक बहुत ही खास जगह किष्किंधा की है जहां भगवान राम ने हनुमान और सुग्रीव से मुलाकात की थी। कर्नाटक राज्य में स्थित यह क्षेत्र आज भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए पर्यटकों का ध्यान खींचता है। पहाड़, झरने, और घने जंगल देखने के अलावा आप यहां हनुमान मंदिर और सुग्रीव का महल देखना ना भूलें। दंडकारण्य से लगभग 890 से 900 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थित है।
किष्किंधा के प्रमुख आकर्षण: हनुमान की गुफाएं और मंदिर, सुग्रीव और हनुमान की मूर्तियां, प्राचीन वन और प्राकृतिक स्थल
रहने की व्यवस्था: किष्किंधा से लगभग 30-40 किमी की दूरी पर आपको बजट होटल और गेस्ट हाउस मिल जाएंगे। यहां बड़े होटल या रिसॉर्ट कम हैं। नजदीकी बड़े शहरों में भी आप स्टे के लिए देख सकते हैं।
तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम रामायण यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आपकी यात्रा का अगला पड़ाव होगा। माना जाता है कि भगवान राम ने लंका जाने से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना करते हुए भगवान शिव की पूजी की थी। इसके अलावा लंका जाने के लिए राम जी की सेना ने रामेश्वरम से ही समुद्र पार किया था। रूट के हिसाब से किष्किंधा से रामेश्वरम की दूरी लगभग 900 से 1,000 किलोमीटर है।
रामेश्वरम के प्रमुख आकर्षण: रामेश्वरम मंदिर (रामनाथस्वामी मंदिर), अद्भुत समुद्री पुल (रामसेतु या एडम्स ब्रिज), डंडी थोपू, आग्नि कुंड, पामर मंदिर, कोविलार नदी यहां का प्रमुख आकर्षण है।
रहने की व्यवस्था: यहां बजट और एसी गेस्ट हाउस के तमाम ऑपशन मौजूद हैं। किफायती और सुविधाजनक विकल्प की तलाश में हैं तो आप रामनाथस्वामी मंदिर के निकट स्थित धर्मशालाएं में जा सकते हैं। ₹30 से ₹250 प्रति दिन के खर्चे पर आपको यहां साधारण कमरे मिल जाएंगे।
आपका अगला पड़ाव आपको विदेश यात्रा की ओर ले जाएगा। मान्यता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध लंका, जो आज का श्रीलंका है वहां लड़ा था। भगवान राम से जुड़े कई धार्मिक स्थल आपको यहां देखने को मिल जाएंगे। श्रीलंका की यात्रा आपको रामायण कथा की गहराई को महसूस करने का मौका देती है। रामेश्वरम से श्रीलंका की दूरी तकरीबन 650 से 700 किलोमीटर है। रामेश्वरम के नजदीकी एयरपोर्ट (चेन्नई, मदुरै) से श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के लिए फ्लाइट पकड़कर आप ये यात्रा कर सकते हैं।
श्रीलंका के प्रमुख आकर्षण: सिगिरिया (UNESCO विश्व धरोहर स्थल), दालडा मालया, एनूराधपुरा, नुवारा एल्या, याला नेशनल पार्क यहां के प्रमुख आकर्षण है। इसके अलावा आधुनिक शॉपिंग मॉल्स, म्यूजियम, बाजार के लिए आप कोलंबो का रुख कर सकते हैं। खूबसूरत समुद्र तट के लिए मिरिस्सा जाएं।
जन्म से लेकर रावण वध तक भगवान श्रीराम से जुड़ी ये पावन यात्रा काफी लंबी है जिसे एकसाथ कर पाना हर यात्री के लिए संभव नही है। ऐसे में आप आसानी से यात्रा कर सकें तो एकसाथ इन चुनिंदा स्थानों पर जाने की योजना बनाएं-
ट्रिप 1: (चित्रकूट - दंडकारण्य वन - श्रृंगवेरपुर नगरी - अयोध्या - बस्ती - जनकपुर) उत्तर भारत के धार्मिक और ऐतिहासिक क्षेत्र पर एकसाथ जाने का आप प्लान कर सकते हैं। इस ट्रिप को पूरा करने में आपको करीब 7 से 10 दिन का समय लेकर चलना होगा।
ट्रिप 2: (किष्किंधा - रामेश्वरम - श्रीलंका) दक्षिण भारत की रामायण यात्रा का आप प्लान कर सकते हैं। ट्रैवल टाइम को देखें तो इस प्लान के लिए भी आपको सात से 10 दिन तक का समय लेकर चलना होगा। अगर आप कहीं अधिक समय बिताना चाहते हैं तो उसी हिसाब से यह टाइम फ्रेम बढ़ जाएगा।
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