टोक्यो पैरालंपिक: पीएम मोदी ने भाविनाबेन पटेल को दी बधाई, टीटी स्टार ने कहा- मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती

स्पोर्ट्स
भाषा
Updated Aug 28, 2021 | 15:43 IST

PM Narendra Modi on Bhavinaben Patel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेबल टेनिस स्टार भाविनाबेन पटेल को टोक्यो पैरालंपिक फाइनल में पहुंचने पर बधाई दी है। पटेल ने चीनी खिलाड़ी को हराकर फाइनल में एंट्री की।

Bhavinaben Patel
भाविनाबेन पटेल  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • टोक्यो पैरालंपिक खेला जा रहा है
  • भाविनाबेन पटेल का मेडल पक्का
  • टीटी खिलाड़ी फाइनल में पहुंच चुकी हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो पैरालंपिक फाइनल में पहुंची टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल को बधाई देते हुए कहा कि उनकी उपलब्धियों ने पूरे देश को प्रेरित किया है। पटेल ने दुनिया की तीसरे नंबर की चीनी खिलाड़ी को हराकर पैरालंपिक फाइनल में प्रवेश किया और यह कारनामा करने वाली वह पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। मोदी ने ट्वीट किया, 'भाविना पटेल को बधाई । आपने शानदार खेल दिखाया। पूरा देश आपकी सफलता के लिये प्रार्थना कर रहा है और कल आपकी हौसलाअफजाई करेगा। बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। आपकी उपलब्धियों से पूरा देश प्रेरित होगा।'

'मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती'

पैरालंपिक खेलों के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने शनिवार को कहा कि वह खुद को दिव्यांग नहीं मानती और तोक्यो खेलों में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। बारह महीने की उम्र में पोलियो की शिकार हुई पटेल ने कहा, 'मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती। मुझे हमेशा से यकीन था कि मैं कुछ भी कर सकती हूं और मैने साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं है और पैरा टेबल टेनिस भी दूसरे खेलों से पीछे नहीं है।'उन्होंने कहा, 'मैने चीन के खिलाफ खेला है और यह हमेशा कहा जाता है कि चीन को हराना आसान नहीं होता है। मैंने आज साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। हम कुछ भी कर सकते हैं।' 

'हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं'  

पटेल ने कहा कि खेल के मानसिक पहलू पर फोकस करने से उन्हें मैच के दौरान मदद मिली।  उन्होंने कहा, 'मेरा दिन सुबह चार बजे शुरू हो जाता है और मैं ध्यान तथा योग के जरिए मानसिक एकाग्रता लाने का प्रयास करती हूं। मैचों के दौरान कई बार हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं और अंक गंवा देते हैं लेकिन मैने अपने विचारों पर नियंत्रण रखा।' उन्होंने कहा, 'मैं अपने कोचों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे तकनीक सिखाई । उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सकी। भारतीय खेल प्राधिकरण, टॉप्स, पीसीआई, सरकार, ओजीक्यू, नेत्रहीन जन संघ, मेरे परिवार को भी मै धन्यवाद देती हूं।'

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