पंडित मनोज कुमार मिश्रा
नई दिल्ली: सभी साधनात्मक ग्रंथों में होली की रात्रि को श्रेष्ठ माना गया है । यह पर्व वर्ष में मात्र एक बार आता है । जानकार व्यक्ति इस रात्रि का पूरे साल इंतजार करते हैं । मकरंद संहिता, गोरक्ष संहिता, रूद्रामल तंत्र, विक्पाक्ष संगीता आदि ग्रंथों में स्पष्ट वर्णन है कि होली की रात सिद्धि, मनोकामना पूर्ति व विघ्न बाधा असफलता दूर करने वाली रात मानी जाती है। यानी इस दिन अगर आपने कोई विधिपूर्वक उपाय कर लिया तो मनोवांछित लाभ मिलना तय है।
होली के पर्व का साधना व पूजा-पाठ के क्षेत्र में विशेष महत्व है । उच्च कोटि के योगी सन्यासी और साधक इस पर्व की प्रतीक्षा करते रहते हैं जिसे वे इस पर्व पर साधना संपन्न कर सकें और पूर्णता-सफलता प्राप्त कर सके। एक तरफ जहां यह पर्व तांत्रिकों के लिए वरदान अतुल्य है वही साधकों के लिए अत्यंत श्रेयस्कर और सिद्धि प्रदान करनेवाला होता है।
होली के दिन पूजा काक है विशेष महत्व
इस दिन साधना व पूजा-पाठ संपन्न करने पर सफलता मिलती है और साधक अपना मनोवांछित कार्य संपन्न करने में सफलता प्राप्त कर लेता है। कुछ महत्वपूर्ण टोटके और उपाय जो होलिका दहन के दिन किए जाते हैं वो निम्नलिखित हैंः
होलिका दहन के दिन सावधानी
1.होलिका दहन के दिन उजला खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
2.मांगलिक कार्य भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह होलाष्क अवधि में आता है ।
3.कोविड-19 के बचाव के सभी सरकारी निर्देशों का पालन करें ।
होलिका दहन
होलिका दहन इस साल 28 मार्च को है जिसका मुहूर्त शाम 6:25 से रात्रि 8:40 तक है।
होलिका पूजन सामग्री-रोली ,कच्चा सूत, हल्दी की गांठ , बतासा, मिष्ठान ,नारियल और जल।
होलिका दहन की पूजा
होलिका का पूजन करने से पहले गौरी-गणेश का ध्यान कर पूजा करें। ओम होलिकाऐ नमः और ओम प्रह्लादाए नमः। ओम नर्सिंगाए नमः मंत्र बोलकर पूजन करें। क्षमा प्रार्थना करें । कच्चे सूत से चारों तरफ लपेटकर तीन परिक्रमा करें और अंत में जल चढ़ा दें। होलिका के भस्म का बड़ा महत्व है इसे चांदी की डिब्बी में भरकर घर में रखा जाता है इसे लगाने से प्रेत बाधा और नजर दोष से शांति मिलती है
(लेखक ज्योतिषी और कर्मकांड के जानकार हैं। )