लखनऊ। प्रदेश भर में चल रहे प्री प्राइमरी स्कूलों की मनमानी पर प्रदेश की योगी सरकार लगमा कसने की तैयारी कर रही है। प्री प्राइमरी स्कूलों के संचालन के लिए भी कोई नियम तय नहीं थे। सीएम के निर्देश पर प्रदेश में प्री प्राइमरी स्कूल संचालित करने के लिए भी अब राज्य सरकार से मान्यता लेना जरूरी होगी। बेसिक शिक्षा विभाग प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए गाइडलाइन तैयार कर रहा है। इससे प्ले स्कूल व प्री प्राइमरी स्कूलों में ली जाने वाली मोटी फीस पर नकेल कसेगी। इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्ले व प्री प्राइमरी स्कूलों की तरह डेवलपप किया जाएगा।
प्रदेश में संचालित प्ले व प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए अभी मान्यता लेना जरूरी नहीं है। अकेले राजधानी में करीब दो हजार से अधिक प्ले व प्री प्राइमरी स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। जहां पर अभिभावकों से एक से ढ़ाई हजार रूपए तक प्रतिमाह फीस ली जाती है। कई प्राइमरी स्कूल तो लोगों ने अपने घरों के अंदर ही खोल रखें है, या दो से तीन कमरों में संचालित हो रहे हैं। कम सहूलियतों में यह अभिभावकों से मोटी फीस वसूलते थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सरकार प्ले व प्राइमरी स्कूलों के मान्यता को जरूरी करने जा रही है। इसमें बच्चों की सुरक्षा पर भी स्कूलों की जवाबदेही तय की जाएगी।
प्री प्राइमरी यूनिट का हुआ गठन
राज्य सरकार द्वारा प्री-प्राइमरी को मान्यता देने के लिए नियम तय किए जाएंगे। इसके लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत एक प्री प्राइमरी यूनिट का गठन किया गया है। यह कमेटी प्री-प्राइमरी स्तर की शिक्षा से जुड़े मानकों व योजनाओं पर निर्णय लेगी। नए नियमों के तहत सरकार तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को औपचारिक शिक्षा में शामिल करेगी। अभी 6 साल तक की उम्र के बच्चों को कक्षा एक से औपचारिक शिक्षा में शामिल किया जाता है।
प्री प्राइमरी स्कूल की तरह तैयार होंगे आंगनबाड़ी केन्द्र
परिषदीय विद्यालयों की तरह छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्ले स्कूल की तरह डेवलप किया जाएगा। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सेविकाओं को 31 मार्च तक प्रशिक्षित भी किया जाएगा। निजी संस्थाओं को प्ले स्कूल खोलने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता लेना होगी। उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1.89 लाख आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे है। जहां पर 6 वर्ष की आयु के बच्चों को पुष्टाहार के साथ शिक्षा भी दी जाएगी।