नई दिल्ली: एमएस धोनी- क्रिकेट फैन के लिए नाम की काफी है उनके भारतीय जर्सी की यात्रा याद करने के लिए। टीम इंडिया को आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां - टी20 विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी और 50 ओवर विश्व कप, व टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 पर पहुंचाने वाला कप्तान। हालांकि, भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले एमएस धोनी को भारतीय टीम में काफी समय के बाद चुना गया था। 2004 में प्रमुख चयनकर्ता किरण मोरे ने खुलासा किया है कि बांग्लादेश दौरे के लिए किन परिस्थितियों में एमएस धोनी को टीम इंडिया में चुना गया था।
इससे पहले भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट में विकेटकीपर बदलते जा रही थी जबकि वनडे में यह जिम्मेदारी राहुल द्रविड़ ने अपना रखी थी। द्रविड़ यह जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे थे। उन्होंने 73 वनडे में 71 कैच लपके जबकि 13 स्टंपिंग की थी। हालांकि, चयनकर्ताओं का मानना था कि द्रविड़ पर अतिरिक्त भार दिया जा रहा है और उन्हें लगा कि दिग्गज बल्लेबाज को पूरा ध्यान बल्लेबाजी पर लगाने की अनुमति देनी चाहिए। पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक का नाम उस समय चर्चा में बना हुआ था। मोरे ने खुलासा किया कि चयनकर्ता पैनल ऐसा खिलाड़ी चाहता था, जो लंबे शॉट जमा सके और विकेट के पीछे बेहतर प्रदर्शन करे।
डब्ल्यूवी रमन के साथ उनके पोडकास्ट इंसाइड आउट पर बातचीत करते हुए मोरे ने कहा, 'राहुल द्रविड़ ने 75 वनडे में विकेटकीपिंग कर ली थी। इसलिए हम विकेटकीपर बल्लेबाज पर ध्यान दे रहे थे, जो लंबे शॉट जमा सके। हम राहुल को थोड़ी राहत देना चाह रहे थे।'
उसी समय एमएस धोनी ने बल्ले से धमाकेदार प्रदर्शन किया और भारत ए की तरफ से केन्या दौरे पर अपना जलवा बिखेरा। केन्या दौरे पर धोनी का काफी नाम हो चुका था और सेलेक्टर्स को उनकी जरूरत के हिसाब से इस बल्लेबाज में वह क्षमता नजर आ रही थी। इसके बाद सेलेक्टर्स ने धोनी को चुना और इससे भारतीय क्रिकेट हमेशा के लिए बदल गया। किरण मोरे ने धोनी को पूर्ण पैकेज करार दिया और इस फैसले ने चीजें बदल दी।
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