Lolark Kund: वाराणसी का लोलार्क कुंड क्यों है खास, जानिए इतिहास

वाराणसी अपने मंदिरों और घाटों के लिए दुनियाभर में मशहूर है, लेकिन आज हम यहां के एक ऐसे कुंड के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। इस चमत्कारी कुंड को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं। तो आइए जानते हैं इस कुंड की खासियत।

lolark kund

वाराणसी लोलार्क कुंड

वाराणसी अपने मठ, मंदिर, घाट से लेकर खान-पान तक के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इन्हीं मशहूर जगहों में एक है यहां स्थित कुंड। इस कुंड का नाम लोलार्क कुंड है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि को लोलार्क का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए संतान की कामना रखने वाली महिलाएं इस ऐतिहासिक लोलार्क कुंड में स्नान करती हैं। यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि जो भी दंपति यहां स्नान करते हैं, उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो जाती है।

लोलार्क कुंड को लेकर लोगों का मानना है कि यह एक चमत्कारी कुंड है। यहां दूर-दूराज से लोग अपनी इच्छाओं को लेकर आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। वहीं जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति की इच्छा होती है, वह इस पर्व के दिन यहां स्नान करती हैं।

लोलाकेश्वर महादेव

मान्यताओं के अनुसार लोलार्क कुंड में तीन बार डुबकी लगाने से सूनी गोद भर जाती है। साथ ही इस कुंड में एक फल भी दान करना होता है। कुंड को लेकर यह भी कहा जाता है कि यहां नहाए हुए कपड़े भी छोड़कर जाना होता है, जिसके बाद पति-पत्नी को लोलाकेश्वर महादेव के दर्शन करने होते हैं।

ये है कुंड की मान्यता

इस कुंड को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार भगवान सूर्य ने यहां सैकड़ों वर्ष तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी। इस शिवलिंगि को आज लोलाकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि इसी जगह पर भगवान सूर्य के रथ का पहिया गिरा था, जिससे कुंड का निर्माण हुआ था।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | वाराणसी (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited