भारत के प्राचीन शहरों के नाम और इतिहास (फोटो: Canva)
Ancient Cities of India: भारत का हर शहर अपनी एक अनोखी पहचान और ऐतिहासिक महत्व लिए हुए है। यह देश सिर्फ परंपराओं और विविध संस्कृतियों का संगम ही नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के प्राचीनतम केंद्रों में से एक भी है। हड़प्पा सभ्यता से लेकर न्यू नोएडा तक, भारतीय शहरों के इतिहास ने एक लंबी यात्रा तय की है। साथ ही, भारतीय सभ्यता की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं, और इसका प्रमाण आज भी हमारे कई शहरों में जीवित है। पर क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे कई शहर हैं जो पिछले हजारों वर्षों से भी अधिक समय से लगातार आबाद हैं? इन शहरों ने समय के साथ अनेक साम्राज्यों का उत्थान और पतन देखा है, लेकिन अपनी सांस्कृतिक आत्मा को हमेशा जीवित रखा है। कहीं धार्मिक मान्यता ने इन्हें पवित्र बना दिया तो कहीं ऐतिहासिक घटनाओं ने इन्हें विश्व मानचित्र पर अमर कर दिया। ऐसे में आज हम आपको भारत के उन 7 ऐतिहासिक शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका जुड़ाव मानव सभ्यता से बेहद ही गूढ़ और प्राचीन है।
अयोध्या, सरयू नदी के तट पर स्थित, एक प्राचीन और पवित्र शहर है, जिसे रामायण में भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में वर्णित किया गया है। यह भारत के सात प्रमुख पवित्र शहरों में से एक है। इतिहासकार इसे प्राचीन काल में 'साकेत' के रूप में पहचानते हैं, जो 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र था। त्रेता युग के ठाकुर, गुप्तार घाट, गुलाब बारी और बहू बेगम की समाधि जैसे स्थल अयोध्या के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।
वाराणसी, जिसे बनारस या काशी भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसा एक अत्यंत पवित्र शहर है। यहाँ 84 घाट हैं, जिनका उपयोग धार्मिक स्नान और अंतिम संस्कार के लिए किया जाता है। यह भारत का सबसे पुराना लगातार बसा हुआ शहर है और वैदिक संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। कांस्य युग के बाद से वाराणसी धार्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यह शिक्षा और वाणिज्य का भी प्रमुख स्थल है, विशेषकर अपने मलमल, ब्रोकेड और रेशमी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध।
पटना, जिसे प्राचीन काल में पाटलिपुत्र कहा जाता था, गंगा नदी के दक्षिणी किनारे बसा दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है। मौर्य साम्राज्य का यह केंद्र था और प्राचीन विश्वविद्यालयों नालंदा व विक्रमशिला के कारण यह ज्ञान और कला का महत्वपूर्ण केंद्र रहा। आर्यभट्ट और चाणक्य जैसे महान व्यक्तियों का जन्मस्थान भी यही है। पादरे की हवेली, गोलघर और पटना संग्रहालय शहर के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते हैं।
मध्य भारत में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन का इतिहास पौराणिक कथाओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह प्राचीन काल में राजनीतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। उज्जैन ने कई साम्राज्यों का उदय और पतन देखा है और यह कालिदास जैसे महान साहित्यकारों के कार्यों में भी उल्लेखित है। महाभारत काल में यह अवंती साम्राज्य की राजधानी रहा। शहर अपने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, बारह साल में होने वाले सिंहस्थ कुंभ, भैरोगढ़ के टाई-डाई वस्त्रों और सूफी संत रूमी के मकबरे के लिए प्रसिद्ध है।
मदुरै शहर का नाम शहद (मधु) के अमृत से जुड़ा माना जाता है, जो भगवान शिव के उलझे बालों से गिरा था। यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में इस शहर का उल्लेख किया है। इब्न बतूता और मार्को पोलो ने भी इसकी ऐतिहासिक और आर्थिक समृद्धि का वर्णन किया है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि तीसरी शताब्दी से ही रोम और मदुरै के बीच व्यापार संबंध थे। यह तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और तिरुमलाई नायक पैलेस व मीनाक्षी अम्मन मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है।
तंजावुर, जिसे पहले तंजौर कहा जाता था, अपने मंदिरों और कला-कौशल के लिए प्रसिद्ध है। शहर का नाम राक्षस तंजनासुर से जुड़ा माना जाता है, जिसे स्थानीय किंवदंती के अनुसार श्री आनंदवल्ली अम्मन और विष्णु ने मारा था। चोल साम्राज्य के समय की कलात्मक और स्थापत्य कला शिवगंगा किला और बृहदेश्वर मंदिर में देखी जा सकती है। तंजावुर आज यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ग्रेट लिविंग चोल मंदिरों का घर भी है।
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