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दिल्ली में 'सीरियस' AQI से स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटीज बंद, 'जहरीली हवा' में बच्चे बाहर न जाएं तो क्या करें?

How To Keep Children Safe Indoors: दिल्ली की जहरीली हवा में अब बच्चों का हर कदम पेरेंट्स की चिंता बढ़ा रहा है। हाल ही में दिल्ली के स्कूलों ने आउटडोर एक्टिविटीज बंद कर दी हैं, जिससे कि बच्चों को बाहरी प्रदूषण में जाने रोका जा सके और वे स्वस्थ रह सकें। लेकिन क्या बच्चों को पूरे दिन घर में बंद रखना सही है? वहीं पेरेंट्स के मन में यह भी सवाल है कि अगर बच्चे घर में रहेंगे तो हेल्दी, एक्टिव और खुश कैसे रहेंगे। आज के लेख में जनिए पेरेंट्स कैसे रखें अपने बच्चों की सेहत, मूड और मुस्कान बरकरार, जब बाहर की हवा बन चुकी है जहर।

प्रदूषण ने बच्चों को घरों में किया कैद

प्रदूषण ने बच्चों को घरों में किया कैद (PC: AI Sociopulse)

How To Keep Children Safe Indoors: सुबह जब आपका बच्चा स्कूल के लिए तैयार होता है और आप दरवाजे से बाहर झांकते हैं तो सामने धुंध नहीं, जहरीली हवा नजर आती है। आंखें जलती हैं, गले में खराश-खुजली है और मन में सबसे बड़ा डर यही रहता है कि कहीं ये हवा मेरे बच्चे को भी बीमार न कर दे। कभी-कभी पेरेंट्स के मन में भी आता है कि यह वही दिल्ली की हवा, जिसमें कभी बच्चे पार्क में दौड़ा करते थे और आज उनके लिए खतरा बन गई है। इसी वजह से अब स्कूलों ने आउटडोर गेम्स, असेंबली और खेल-कूद सब बंद कर दिए हैं।

अब ऐसे में हर पैरेंट के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि बच्चे दिनभर घर में रहेंगे तो करेंगे क्या, अगर दिनभर बच्चे घर में रहेंगे तो उनकी ऊर्जा, उनका मूड और उनकी सेहत कैसे संभलेगी? इन दिनों हर पैरेंट की यही चिंता है कि घर की चारदीवारी में बच्चे को कैसे खुश और एक्टिव रख सकते हैं। डॉक्टर भी मानते हैं कि बच्चों को पॉल्यूशन से बचाना जरूरी है, लेकिन उतना ही जरूरी है कि उनकी हंसी और जोश भी जिंदा रहे। तो चलिए जानते हैं, इस मुश्किल वक्त में अपने बच्चों को कैसे रखें सेहतमंद, खुश और मोटिवेटेड।

क्यों बंद की गईं स्कूलों की आउटडोर एक्टिविटीज

रेस्पिरेटरी और लंग डिजीज एक्सपर्ट (पल्मोनोलॉजिस्ट) डॉ. शारदा जोशी बताती हैं कि इन दिनों दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार 400 से ऊपर चल रहा है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। डॉक्टरों का कहना है कि स्मॉग में मौजूद छोटे-छोटे कण बच्चों के फेफड़ों और इम्यून सिस्टम पर गहरा असर डालते हैं। जब वे खेलते हैं या दौड़ते हैं, तो उनकी सांसें तेज चलती हैं और ज्यादा पॉल्यूटेड हवा फेफड़ों में जाती है। यही वजह है कि स्कूलों ने आउटडोर एक्टिविटीज रोक दी हैं। यह कदम बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन उनकी दिनचर्या और सेहत पर असर डाल रहा है।

बच्चों बाहर भेजना कितना नुकसानदेह हो सकता है?

बाल रोग विशेषज्ञ और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पूजा खन्ना कहती हैं कि आमतौर पर पेरेंट्स सोचते हैं कि बच्चा अगर थोड़ी देर बाहर खेल लेगा तो इससे क्या ही फर्क पड़ेगा, लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि ऐसे समय में बच्चों को बाहर भेजना बेहद खतरनाक हो सकता है। स्मॉग बच्चों के लिए वैसा ही है जैसे धुएं में सांस लेना, ये धीरे-धीरे उनके फेफड़ों को कमजोर कर देता है।

लगातार पॉल्यूशन में रहने से बच्चों को खांसी, गले में जलन, सांस फूलना और एलर्जी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। दिल्ली के कई अस्पतालों में ऐसे केस बढ़ भी रहे हैं। ऐसे में बेहतर यही है कि बच्चे फिलहाल घर में रहें, और पेरेंट्स उन्हें वहीं एक्टिव रखें।

क्या दोपहर में बच्चे बाहर जा सकते हैं?

आमतौर पर लोग ऐसा मानते हैं कि दोपहर में हवा थोड़ी साफ होती है, तो क्या उस वक्त बच्चे बाहर जा सकते हैं? एक्सपर्ट की मानें तो दोपहर का समय बाकी घंटों की तुलना में थोड़ा बेहतर जरूर होता है, लेकिन इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता।

डॉ. पूजा बताती हैं कि 'दोपहर 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक सूरज की रोशनी के कारण हवा में मौजूद स्मॉग थोड़ा हल्का होता है, लेकिन फिर भी उसमें जहरीले कण (PM2.5 और PM10) बने रहते हैं। अगर बहुत जरूरी हो तो बच्चे को 15–20 मिनट से ज्यादा बाहर न रखें, और उन्हें हमेशा मास्क पहनाएं। लौटकर तुरंत नाक-मुंह धोने की आदत डालें।

क्या एक दिन की खराब हवा में जाने से तबीयत खराब हो सकती है?

अक्सर पैरेंट्स सोचते हैं अगर बच्चा बस एक दिन ही बाहर गया तो क्या फर्क पड़ेगा? लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है, एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर फर्क पड़ता है, खासतौर पर छोटे बच्चों में। डॉ. पूजा के अनुसार, कई बार एक दिन की एक्सपोजर भी बच्चों के फेफड़ों में इंफ्लेमेशन या एलर्जिक रिएक्शन पैदा कर सकती है, क्योंकि उनके रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट बेहद संवेदनशील होते हैं।

इसलिए यह सोचकर लापरवाही न करें कि सिर्फ एक दिन ही तो है, क्योंकि बच्चों के शरीर में पॉल्यूशन का असर वयस्कों की तुलना में कई गुना ज्यादा तेज होता है।

घर में बच्चों को एक्टिव कैसे रखें
घर में बच्चों को एक्टिव कैसे रखें

घर में बच्चों को एक्टिव कैसे रखें

डॉ. डॉ. पूजा कहती हैं कि अब ऐसे बच्चे बाहर नहीं जा सकते, तो उन्हें घर में ही एक्टिव रखना जरूरी हो गया है। लेकिन पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान हैं आखिर बच्चों को कैसे घर में भी एक्टिव रखें। डॉक्टर्स की मानें तो थोड़ा टाइम और थोड़ी क्रिएटिविटी लगाकर आप उन्हें एनर्जेटिक रख सकते हैं। ऐसे में आप कुछ छोटी-छोटी ट्रिक्स अपना सकते हैं,

  • डांस सेशन रखें: रोज 15–20 मिनट का फैमिली डांस सेशन न सिर्फ मजेदार होता है, बल्कि शरीर को एक्टिव भी रखता है।
  • योगा को गेम बनाएं: एनिमल योगा या बलून ब्रीदिंग जैसी एक्सरसाइज बच्चों को बहुत पसंद आती हैं।
  • इनडोर गेम्स: कुशन बॉलिंग, सॉफ्ट बॉल क्रिकेट या स्किपिंग से शरीर की मूवमेंट बनी रहती है।
  • म्यूजिक एक्टिविटी: म्यूजिक के साथ फ्रीज गेम खेलें, जहां बच्चे म्यूजिक रुकने पर स्टैच्यू बन जाएं।

बोरियत से बचाने के लिए कुछ क्रिएटिव आइडियाज

जब बच्चे पूरे दिन घर में रहते हैं, तो बोरियत होना लाजमी है। लेकिन थोड़ी क्रिएटिविटी से आप उन्हें एंगेज रख सकते हैं।

  • आर्ट और क्राफ्ट टाइम: उन्हें पेंटिंग, ओरिगामी या पेपर आर्ट करवाएं।
  • DIY गेम्स बनवाएं: कार्डबोर्ड या पुराने बक्सों से पजल या बोर्ड गेम बनवाएं।
  • किचन में शामिल करें: फल छीलना, सैंडविच बनाना या सलाद सजाना जैसी छोटी जिम्मेदारियां दें।
  • कहानी और मूवी टाइम: दिन में 30 मिनट ‘नो स्क्रीन’ बुक टाइम रखें या फैमिली मूवी देखें।

बच्चों को बाहर भेजते समय बरतें सावधानी
बच्चों को बाहर भेजते समय बरतें सावधानी

अगर बाहर भेजना जरूरी हो तो रखें ये सावधानियां

कभी-कभी जरूरी होता है कि बच्चे थोड़ी देर बाहर जाएं, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

  • सही समय चुनें: सुबह या देर शाम बिल्कुल न भेजें, जब हवा सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड होती है।
  • सुरक्षा जरूरी: बाहर जाते वक्त बच्चों को N95 या N99 मास्क जरूर पहनाएं।
  • क्लीन-अप रूटीन: घर लौटने के बाद उनका चेहरा और नाक साफ करवाएं, सलाइन वाटर से नाक की सफाई करें।
  • कम समय बाहर रखें: कोशिश करें कि बच्चे लंबे समय तक बाहर न रहें, 20-30 मिनट से ज्यादा नहीं।

स्क्रीन टाइम और मेंटल हेल्थ का बैलेंस कैसे बनाएं

घर में रहने से बच्चे टीवी या मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स स्क्रीन टाइम का बैलेंस भी बनाएं। ऐसे में ये टिप्स अपनाएं,

  • फिक्स टाइम सेट करें: बच्चों को दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम न दें।
  • स्क्रीन के बाद मूवमेंट: हर मोबाइल या लैपटॉप यूज करने के बाद 30 मिनट की कोई फिजिकल एक्टिविटी करवाएं।
  • फैमिली एक्टिविटी टाइम: साथ में कहानी सुनना, कुकिंग या कोई गेम खेलना बच्चों को मानसिक रूप से खुश रखता है।
  • पॉजिटिव बातचीत करें: बच्चों को समझाएं कि घर में रहना सजा नहीं, बल्कि सेहत की सुरक्षा है।

बच्चों की हेल्थ का ध्यान कैसे रखें
बच्चों की हेल्थ का ध्यान कैसे रखें

प्रदूषण में बच्चों की हेल्थ और इम्युनिटी का ऐसे रखें ख्याल

डॉ. शारदा कहती हैं कि फेफड़ों की मजबूती और इम्युनिटी के लिए बच्चों के खानपान पर ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में सही डाइट और कुछ सरल एक्सरसाइज के अभ्यास से बच्चे पॉल्यूशन के असर को काफी हद तक झेल सकते हैं।

  • डाइट में शामिल करें: गुड़, हल्दी वाला दूध, अदरक, तुलसी और विटामिन C वाले फल जैसे संतरा, अमरूद।
  • ब्रीदिंग एक्सरसाइज करवाएं: अनुलोम-विलोम या भ्रामरी जैसी प्राणायाम एक्सरसाइज से फेफड़े मजबूत होते हैं।
  • घर की हवा भी साफ रखें: कमरे में एलोवेरा या स्नेक प्लांट जैसे पौधे लगाएं या एयर प्यूरिफायर इस्तेमाल करें।

बच्चों को चाहिए सिर्फ प्यार, ध्यान और मोटिवेशन

डॉक्टर्स की राय में यह वक्त बच्चों के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है। इस दौरान न उन्हें खेलने की आजादी है, न ही उनके पास दोस्तों से मिलने का मौका है। इसलिए पैरेंट्स का रोल अब सिर्फ गार्जियन का नहीं, बल्कि गाइड और दोस्त का भी है। बच्चों को यह महसूस कराना जरूरी है कि घर में रहना मजबूरी नहीं, बल्कि सुरक्षा की ढाल है।

अगर हम प्यार, ध्यान और थोड़ी समझदारी से उनका समय प्लान करें, तो वे इस पॉल्यूशन सीजन में भी खुश, एक्टिव और हेल्दी रहेंगे। बाहर की हवा भले जहरीली हो, लेकिन घर की हवा हम अपने प्यार और सकारात्मकता से बेहतर बना सकते हैं।

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Vineet
Vineet Author

विनीत टाइम्स नाऊ नवभारत डिजिटल में फीचर डेस्क के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़े हैं। वे मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। इन्हें हेल्थ, फिटनेस और न्य... और देखें

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