Pregnancy Safety Tips During Pollution : सुबह का वक्त है और दिल्ली-एनसीआर के एक छोटे से पार्क में नीला आसमान नहीं दिख रहा। दिख रही है तो सिर्फ चारों ओर फैली धुंध की मोटी चादर। इसी पार्क में एक गर्भवती टहलने के लिए निकलती है। चेहरा मास्क में ढका हुआ, हाथ में पानी की बोतल और दूसरे हाथ से पेट को हल्के से संभाला हुआ है। यह कोई फिल्म का सीन नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर की सच्चाई है।
बीते कुछ दिनों से दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ा है। सुबह की हल्की धुंध, शाम में धुंध जैसे घनी चादर- यह दृश्य अब आम हो गया है और इसका असर हमारी सेहत पर दिखने लगा है। लेकिन जब यही प्रदूषित हवा गर्भ में पल रहे नन्हे से जीवन तक पहुंचती है, तो उसकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचाती है। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु की गुणवत्ता गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। आज हम आपको डॉक्टर की मदद से कुछ जरूरी टिप्स बताएंगे, जिन्हें फॉलो कर आप प्रदूषण की मार से अपना और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की सुरक्षा कर सकती हैं।
डॉ. पुनीत राणा अरोड़ा-स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं आईवीएफ विशेषज्ञ, CIFAR, Gurugram का मानना है कि प्रदूषित हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे बारीक कण सांस के द्वारा हमारे शरीर के अंदर तक पहुंच जाते हैं। जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो ये छोटे कण खून के द्वारा प्लेसेंटा (placenta) तक पहुंच सकते हैं। प्लेसेंटा वह स्थान है जहां बच्चे का विकास गर्भ में होता है। इस वजह से वायु प्रदूषण का सीधा असर बच्चे की सेहत पर दिख सकता है।
प्रेग्नेंसी के समय मां को सामान्य से अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिसके चलते ये प्रदूषक शरीर में और अधिक मात्रा में पहुंच जाते हैं और दोनों की सेहत पर बुरा असर डालते हैं। डॉक्टर राणा के मुताबिक, ऐसे मामलों में गर्भवती महिलाओं में ब्लड प्रेशर बढ़ना, प्रिमैच्योर डिलीवरी (समय से पहले बच्चे का जन्म), और जन्म के समय बच्चे के वजन में कमी की संभावना अधिक होती है। यह प्रदूषण सिर्फ मां को नहीं, बच्चे को भी प्रभावित करता है। हवा में घुला जहर बच्चे के ब्रेन और लंग्स के विकास को धीमा कर सकता है।
कल्पना कीजिए कि एक मां, जो अपनी अगली सांस को सुरक्षित रखना चाहती है, लेकिन चारों ओर धुंध और धुएं का अंबार लगा है। इस स्थिति में वह क्या अपनी सेहत संभालेगी और क्या ही सुरक्षा और स्वास्थ्य बच्चे को दे सकेगी!ऐसे में अपनी सुरक्षा कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इन मुश्किल दिनों में अपनी और गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रेग्नेंट लेडीज क्या करें - इसको लेकर हमने बात की डॉ. मनीषा रंजन-प्रसूति एवं स्त्री रोग, क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, नोएडा से।
बदलें दिनचर्या
डॉ. मनीषा के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को एक नियमित दिनचर्या का पालन करने की सलाह दी जाती है जिसमें सुबह के समय टहलना, शाम को फ्रेश एयर लेना। लेकिन इस मौसम में अब ये संभव नहीं रहा क्योंकि धुंधली हवा में बाहर निकलना, विशेषकर सुबह-शाम, गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ा खतरा बन जाता है। इसलिए घर की खिड़कियां बंद रखें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, बाहर निकलते समय मास्क पहननें। वॉक के लिए सुबह या शाम का समय अवॉइड करें।
खानपान के सुझाव
जब हवा ही प्रदूषित हो जाए तो पोषण के लिए खानपान का सही होना बेहद जरूरी है। डॉ. मनीषा का कहना है कि इन दिनों आपको एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर फल-सब्जी और मेवा आदि का सेवन जरूर करना चाहिए। जिससे ये आपके शरीर पर आने वाले प्रदूषण के प्रभाव को कम कर सकें। इसके साथ ही वाटर इंटेक का भी खास ख्याल रखें।
एक्सपर्ट की सलाह लें
गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए एक मुश्किल समय होता है। जिसमें आपको एक साथ दो जिंदगियों का ख्याल रखना होता है। डॉ. मनीषा के मुताबिक ऐसे में यदि आपको खांसी, सांस फूलना, चक्कर आना जैसे लक्षण दिखें — तो इन्हें नरजअंदाज नहीं करना चाहिए। यहां तक कि 'बस थोड़ी खांसी है' जैसा सोचना भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि जो हवा हम महसूस भी नहीं कर पाते, वो हमारे अंदर गहरी चुभन छोड़ सकती है। इसलिए किसी तरह का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
निष्कर्ष
प्रदूषण आज की सबसे बड़ी 'साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी' बन चुका है। दिल्ली-एनसीआर की हवा सिर्फ ठंडी या गर्म नहीं बल्कि ये एक चेतावनी बन चुकी है। जिसमें सांस लेने वाली हर एक गर्भवती मां के लिए यह हवा का हर कण-कण एक प्रश्न है, कि क्या मैं और मेरा आने वाला बच्चा सुरक्षित हैं? लेकिन, इन सभी सवालों का अंत डर के साथ नहीं बल्कि सावधानी और जागरूकता के साथ होना चाहिए। थोड़ी जागरूकता, सावधानी और प्राकृतिक उपायों से प्रदूषण के असर को न केवल अपने बल्कि आने वाले बच्चे के शरीर पर भी कम किया जा सकता है।
यदि आप खुद या कोई आपकी जान-पहचान में ऐसी महिला है जो गर्भवती है — तो हमारे लेख में बताई गई बातें उसके साथ साझा कर सकते हैं। जिसमें घर से बाहर-निकलना कब और कितना, मास्क का उपयोग, घर की हवा की गुणवत्ता, आहार-स्वास्थ्य की दिशा सभी शामिल हैं। क्योंकि यहां बात सिर्फ आज की नहीं, आने वाली पीढ़ी की है।
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