अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। तस्वीर-AP
Six month of Trump tariff : देशों के साथ अपना व्यापार असंतुलन ठीक करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के देशों पर मनमाना टैरिफ लगा दिया। दो अप्रैल 2025 को उन्होंने गाजे-बाजे के साथ इसकी घोषणा की। टैरिफ के कोड़े की मार अमेरिका के दोस्तों और दुश्मनों सभी को पड़ी। ये अलग बात है यह टैरिफ किसी पर ज्यादा तो किसी पर कम है लेकिन लगाया सभी पर है। इस टैरिफ को लगे हुए छह महीने हो गए हैं तो सवाल है कि जिस मकसद से ट्रंप ने दनदनाते हुए यह टैरिफ लगाया क्या वह मकसद पूरा हुआ? क्या अमेरिका में अमेरिकी में बने उत्पाद बिकने शुरू हो गए हैं? क्या टैरिफ से अमेरिका को फायदा हुआ? आज हम इसी की चर्चा करेंगे। ट्रंप के टैरिफ का असर हुआ है कि नहीं। इस पर दुनिया की एक बहुत बड़ी हस्ती ने अपनी रिपोर्ट दी है।
यह हस्ती कोई और नहीं बल्कि हॉवर्ड विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जिसे आईएमएम कहा जाता है, उसकी पूर्व चीफ गोता गोपीनाथ हैं। दरअसल, गीता ने भारत और ब्राजील पर लगाए गए 50-50 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव आकलन किया है और अपने इस आकलन के बाद उन्होंने टैरिफ के प्रभाव को एक नकारात्मक फैसला बताया है। गीता ने साफ-साफ कहा है कि टैरिफ लगने छह महीने बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इसका लाभ बहुत थोड़ा या नहीं के बराबर हुआ है। एक्स पर अपने एक पोस्ट में गोपीनाथ ने कहा कि लिबरेशन डे टैरिफ के छह महीने हो गए हैं और इस टैरिफ से यूएस ने हासिल क्या किया है?
पहली बात जो उन्होंने कही है, या कहिए कि उन्होंने पूछा है कि क्या इससे अमेरिकी सरकार का रेवन्यू यानी आय बढ़ी? तो हां, यह अच्छा-खासा बढ़ी लेकिन बढ़े हुए टैरिफ की अदायगी या तो अमेरिकी कंपनियों ने की है और इसका थोड़ा बहुत भार उन्होंने अपने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर डाल दिया है तो यह टैरिफ सही मायने में एक तरह से अमेरिकी कंपनियों और उसके उपभोक्ताओं यानी खरीदारों पर लगा है।
दूसरी बात उन्होंने पूछी है कि क्या टैरिफ लगने के बाद अमेरिका में महंगाई बढ़ी? तो इसका जवाब हां है। महंगाई छोटे स्तर पर ही सही लेकिन ज्यादातर सभी उत्पादों पर बढ़ी है। फर्नीचर, कॉफी सहित घरों में इस्तेमाल होने वाले उपकरण ज्यादा महंगे हुए हैं। तीसरा सवाल, क्या इससे व्यापार असंतुलन कम हुआ? तो इसका जवाब उन्होंने दिया है कि व्यापार असंतुलन में सुधार का कोई संकेत नहीं है। फिर उन्होंने पूछा कि टैरिफ लगने के बाद क्या मेक इन अमेरिका यानी क्या अमेरिका में सामान या वस्तुएं बनना शुरू हुए? तो इस पर उन्होंने कहा है कि इसका भी कोई संकेत नहीं है। ओवरऑल ट्रंप के इस टैरिफ का स्कोरकार्ड निगेटिव है।
भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के ट्रंप फैसले पर दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियां पहले भी सवाल उठा चुकी हैं। इन हस्तियों का कहना है कि ट्रंप को अगर अपना व्यापार असंतुलन ठीक करना है तो उन्हें चीन पर ज्यादा टैरिफ लगाना चाहिए। अमेरिका का व्यापार असंतुलन तो सबसे ज्यादा चीन के साथ है लेकिन चीन ने आंख तरेरी तो वह बैकफुट पर आ गए। भारत पर पहले 25 और फिर रूस से तेल खरीदने के नाम पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। इस पर जानकार दूसरी बात कहते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के पीछे ट्रंप का इगो है। सीजफायर का श्रेय नहीं देने और नोबेल शांति पुरस्कार का समर्थन न करने पर उनका इगो हर्ट हो गया और वे भारत से चिढ़ गए। भारत पर टैरिफ लगाने के पीछे यही उनकी निजी वजह है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।