रेलवे को 2 लाख करोड़ से ज्यादा कमाई,फिर भी ट्रैक मेंटनेंस और सुरक्षा कोष के फंड में कमी, जानें कहां जा रहा है पैसा
Train Accidents and Railway Safety: CAG ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैक के रिन्यूअल से जुड़े कामों के लिए फंड एलॉटमेंट में साल दर साल आई गिरावट भी हादसों का एक बड़ी वजह बताई है। अब सवाल उठता है कि जब रेलवे खुद दावा कर रही है कि उसको रिकॉर्ड कमाई हो रही है, तो फिर फंड की कमी कैसे हो रही है। साल2022-23 में रेलवे ने 2.40 लाख करोड़ रूपये का रिकार्ड राजस्व मिला था।
Updated Jun 5, 2023 | 01:28 PM IST
भारत में क्यों हो रहे हैं रेल हादसे
Train Accidents and Railway Safety:भारत में हर रोज 2.21 करोड़ से ज्यादा लोग दुनिया के सबसे लंबे रेल नेटवर्क में से एक भारतीय रेल पर यात्रा करते हैं। ये 2 करोड़ से ज्यादा यात्री करीब 68 हजार किलोमीटर के रेलवे ट्रैक के जरिए अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं। लेकिन इस सफर में ओडीशा के बालासोर जैसे हादसे भारतीय रेल के सुरक्षित होने के भरोसे को डगमगा देते हैं। अभी तक की उपलब्ध जानकारी के अनुसार बालासोर हादसे की वजह सिग्नल सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ट्रेन का पटरी से उतरना रहा है।
इस बीच दिसंबर 2022 में संसद में पेश की गई CAG की रिपोर्ट के (2017-18 से 2020-21) खुलासे परेशानी और बढ़ा देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार रेल हादसों की बड़ी वजह रेलवे ट्रैकों का मैंटेनेंस का सही से न हो पान है। जिसमें फंड की कमी से लेकर, अलॉट फंड के सही से इस्तेमाल नहीं होने की वजहें बताई गई हैं। ऐसे में एक तरफ रेलवे हाई स्पीड ट्रेन को ज्यादा से ज्यादा चलाने की तैयारी में हैं। दूसरी तरफ ट्रैक मेंटनेंस में कई सारी खामियां दिख रही है। इसे एक मामले से समझा जा सकता है। रेलवे में 110 किलोमीटर प्रति घंटे और उससे ज्यादा की स्पीड से चलने वाले ट्रेन के ट्रैक चेकिंग का काम हर 2-3 महीने में होना चाहिए। लेकिन यह मेंटनेंस भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। और अलग-अलग जोन के आधार पर कैग रिपोर्ट बताती है कि ट्रैक चेकिंग मानकों के आधार पर नहीं हो पा रही है। और चेकिंग की संख्या में 30-50 फीसदी तक कमी है।
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रिकॉर्ड कमाई फिर भी फंड की कमी
CAG ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैक के रिन्यूअल से जुड़े कामों के लिए फंड एलॉटमेंट में सालों साल आई गिरावट भी हादसों का एक बड़ी वजह बताई है। अब सवाल उठता है कि जब रेलवे खुद दावा कर रही है कि उसको रिकॉर्ड कमाई हो रही है, तो फिर फंड की कमी कैसे हो रही है। 17 अप्रैल 2023 को रेल मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में 2.40 लाख करोड़ रूपये का रिकार्ड राजस्व हासिल किया। यह राशि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब 49,000 करोड़ रूपये अधिक है। वहीं अगर रेलवे के पिछले 5 साल की औसत कमाई (रेवेन्यू) देखी जाय तो वह करीब 2.14 लाख करोड़ रुपये रही है।
तो इस सवाल का जवाब रेलवे के ऑपरेटिंग रेशियो से मिलता है। रेलवे का 2022-23 में ऑपरेटिंग रेशियो 98.14 फीसदी रहा है। इसका मतलब यह है कि रेलवे अगर 100 रुपये कमाती है तो 98.14 रुपये उसका खर्च हो जाता है। और उसका एक बड़ा हिस्सा पेंशन फंड में जाता है। जो कि करीब 70 हजार करोड़ रुपये है। इसके बाद सैलरी और दूसरे मदों पर पैसा खर्च हो जाता है। यानी रेलवे के पास मेंटनेंस और दूसरे जरूरी खर्च के लिए बहुत पैसा नहीं बच पाता है। संसद की स्थायी समिति भी रेलवे के ज्यादा ऑपरेटिंग रेशियो पर सवाल उठा चुकी है। साल 2018-19 से ही रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 97 फीसदी से उपर बना हुआ है।
रेलवे सुरक्षा कोष का क्या हुआ
रेलवे की सुरक्षित बनाने के लिए साल 2017-18 में रेलवे सुरक्षा कोष का गठन किया गया था। इसके पहले सभी ट्रैक रिन्युअल का काम DRF (Depreciation Railway Fund)द्वारा किया जाता था। लेकिन रेलवे सुरक्षा कोष के गठन के बाद यह जिम्मा उसके पास आ गया। कैग की रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर 2015 के आंकलन के अनुसार रेलवे को करीब ट्रैक रिन्युअल के लिए 1,54,000 करोड़ रुपये की जरूरत थी। जिसमें से रेलवे सुरक्षा फंड के जरिए 1.19 करोड़ रुपये के फंड का आवंटन होना था। लेकिन रेलवे सुरक्षा कोष के पास तो जरूरी पैसा ही नही है कि वह फंड दे सके। कैग कि रिपोर्ट के अनुसार अगले 5 साल में एक लाख रुपये का कोष में आवंटन होना था। लेकिन 2017-18 से लेकर 2020-21 के दौरान बजट आवंटन के जरिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। और उसमें भी वास्तव में उसे केवल 4425 करोड़ रुपये ही मिला है। यानी 78.88 फीसदी रकम मिली ही नहीं।
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