8वां वेतन आयोग
केंद्र सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद नए वेतन आयोग का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी का फॉर्मूूला तय करने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन भी किया है, जिसका अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई हैं। आयोग में प्रोफेसर पुलक घोष और सीनियर आईएएस पंकज जैन सदस्य हैं। अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या रिटायर होने के बाद पेंशन पा रहे हैं तो आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि नए पे कमीशन में सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी का क्या फॉर्मूला होता है? नए वेतन आयोग में मेरी कितनी सैलरी बढ़ सकती है? आइए आपके सभी सवालों के जवाब देते हैं।
क्या होता है पे कमीशन?
आपको बता दें कि पे कमीशन, केंद्र सरकार द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति होती है, जिसका काम महंगाई और वर्तमान बाजार परिस्थितियों को देखते हुए कर्मचारियों, पेंशनर्स के वेतन और पेंशन की समीक्षा कर उसमें बढ़ोतरी का सुझाव देना होता है। पे कमीशन में शामिल सदस्य यह तय करते हैं कि कर्मचारियों को ऐसा वेतन मिले, जिससे वे मार्केट कंडीशन के अनुसार सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा पे कमीशन के सदस्य चिकित्सा और आवास जैसी सुविधाओं से जुड़ी नीतियों में सुधार की सिफारिशें भी करते हैं।
अभी तक सरकार ने 8 बार वेतन आयोग का गठन किया है। आपको बता दें कि पहला वेतन आयोग का गठन 1946 में किया गया था। उसके बाद 1957, 1970, 1983, 1994, 2006, 2013 और अब 2025 में वेतन आयोग का गठन हुआ है। हर 10 साल के बाद नए वेतन आयोग के गठन का प्रावधान है। वेतन आयोग का काम सामान्य उद्देश्यों में जीवन यापन की लागत के अनुरूप वेतन और भत्ते को समायोजित करना, सबसे कम और उच्चतम वेतन स्तरों के बीच के अंतर को कम करना शामिल होता है।
कर्मचारियों के सैलरी बढ़ाने में फिटमेंट फैक्टर को अहम रोल होता है। पे कमीशन के सदस्य इसी के आधार पर सैलरी में वृद्धि करते हैं। आपको बता दें कि फिटमेंट फैक्टर एक गुणक के रूप में कार्य करता है जो एक कर्मचारी के मौजूदा मूल वेतन पर लागू होता है ताकि संशोधित मूल वेतन निर्धारित किया जा सके। यह मौजूदा वेतन संरचना और प्रस्तावित वेतन वृद्धि के बीच के अंतर को भी पाटता है, जिससे विभिन्न वेतन स्तरों पर एकरूपता सुनिश्चित होती है। 8वें सीपीसी से उम्मीद है कि वह महंगाई, उत्पादकता सूचकांकों और इकोनॉमी के विचारों के आधार पर फिटमेंट फैक्टर (संभवतः 2.75 और 3 के बीच) को संशोधित करेगा। 7वें सीपीसी ने फिटमेंट फैक्टर 2.57 था।
पे कमीशन में शामिल सदस्य, कर्मचारियों की सैलरी तय करने में कई आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर विचार करता है। इसमें महंगाई का काफी अहम रोल होता है।
₹18,000 (बेसिक सैलरी) + ₹4,320 (हाउस रेंट अलाउंस) + ₹1,350 (ट्रैवल अलाउंस) + ₹0 (महंगाई भत्ता) = ₹23,670।
वर्तमान में महंगाई भत्ता (DA) बढ़कर बेसिक सैलरी का 58% हो गया है, जिससे कुल वेतन में ₹10,440 का इज़ाफा हुआ है।
आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) में फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को लेकर कई अनुमान लगाए जा रहे हैं। अगर बेसिक वेतन ₹18,000 ही माना जाए, तो फिटमेंट फैक्टर के आधार पर नई सैलरी इस प्रकार बन सकती है —
इस तरह, अगर नया वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर को 2.57 के आसपास रखता है, तो कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी ₹46,000 से अधिक हो सकती है।
माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.83 से 2.86 के बीच तय किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारियों के वेतन में 100 से 160% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। इसके चलते सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 157% की वृद्धि हुई थी।
पे कमीशन सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी का सुझाव नहीं देता है बल्कि मौजूदा समय के अनुसार, एचआरए, मेडिकल इंश्योरेंस, ट्रैवल अलाउंस और ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी का भी सुझाव देता है। इसी आधार पर इन भत्तों में सरकार की ओर से बढ़ोतरी की जाती है।
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