Credit card emi or personal loan which is better in india/photo-TimesNowHindi
आज के समय में जब हर चीज ऑनलाइन और किस्तों में मिलने लगी है, ऐसे में पैसों की जरूरत पड़ते ही हमारे दिमाग में दो विकल्प सबसे पहले आते हैं, क्रेडिट कार्ड EMI या पर्सनल लोन। कोई नया मोबाइल लेना हो, शादी के खर्च पूरे करने हों या फिर अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, दोनों ही विकल्प हमें तुरंत राहत देते हैं, लेकिन सवाल ये है कि इनमें से कौन-सा रास्ता हमारे लिए ज्यादा फायदेमंद है?
अक्सर लोग बिना सोचे-समझे EMI का बटन दबा देते हैं, जबकि कुछ लोग सीधा बैंक जाकर पर्सनल लोन लेने का सोचते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्याज दर, भुगतान की अवधि और छिपे हुए चार्जेज में थोड़ा सा फर्क आपकी जेब पर हजारों रुपये का असर डाल सकता है?
दोनों ही सुविधाएं आसान और आकर्षक हैं, मगर हर किसी की आर्थिक जरूरत और स्थिति अलग होती है। इसलिए सही विकल्प चुनने के लिए आपको यह समझना होगा कि किस स्थिति में क्रेडिट कार्ड EMI बेहतर साबित होगी और कब पर्सनल लोन लेना समझदारी भरा फैसला होगा। आइए, आसान शब्दों में पूरा हिसाब-किताब समझते हैं कि कहां मिलेगा आपको असली फायदा।
जब आप अपने क्रेडिट कार्ड से कोई बड़ी खरीदारी करते हैं (जैसे मोबाइल, टीवी या लैपटॉप), तो आप पूरी रकम एक साथ देने के बजाय उसे EMI (किस्तों) में चुका सकते हैं। इसमें बैंक आपको एक निश्चित ब्याज दर पर मासिक किस्त तय करता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹60,000 का मोबाइल खरीदा और उसे 12 महीनों की EMI पर लिया, तो आपको लगभग ₹5,400 प्रति माह चुकाने पड़ सकते हैं (10–14% ब्याज के हिसाब से)।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि तुरंत लोन मिल जाता है, प्रक्रिया में जाने का झंझट नहीं रहता। 3 से 24 महीने तक की लचीलापन। ऑफर या कैशबैक का लाभ भी मिलता है। नुकसान यह है कि ब्याज दरें कभी-कभी ज्यादा होती हैं जो कि 12%-24% तक भी हो सकती हैं। लिमिट फ्रीज हो जाती है, यानी बाकी खर्चों के लिए क्रेडिट कम हो जाता है।
| तुलना का पहलू | क्रेडिट कार्ड EMI | पर्सनल लोन |
| पैसे मिलने का तरीका | खरीदारी के समय ही EMI में कन्वर्ट | बैंक/ऐप से सीधे खाते में पूरी राशि |
| लोन की रकम | क्रेडिट लिमिट के अंदर तक | ₹50,000 से ₹20 लाख या उससे ज़्यादा |
| ब्याज दर | लगभग 12% – 24% सालाना | लगभग 10% – 18% सालाना |
| EMI अवधि | 3 से 24 महीने | 12 से 60 महीने (1 से 5 साल) |
| प्रोसेसिंग फीस | कुछ बैंकों में 1%–2% | आम तौर पर 1%–3% तक |
| लोन अप्रूवल का समय | तुरंत (इंस्टेंट कन्वर्जन) | कुछ घंटे से 2 दिन तक |
| उपयोग की आज़ादी | सिर्फ खरीदे गए प्रोडक्ट के लिए | किसी भी जरूरत के लिए इस्तेमाल हो सकता है |
| क्रेडिट लिमिट पर असर | लिमिट घट जाती है जब तक EMI खत्म न हो | क्रेडिट कार्ड लिमिट पर कोई असर नहीं |
| सुविधा और लचीलापन | आसान, बिना डॉक्यूमेंट के | थोड़ा पेपरवर्क जरूरी |
| कब फायदेमंद है | छोटी खरीदारी या शॉर्ट-टर्म खर्च | बड़ी रकम या लंबी अवधि की जरूरत में |
पर्सनल लोन बैंक या ऐप से सीधे लिया जाने वाला लोन होता है। इसे आप किसी भी ज़रूरत के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, शादी, घर की मरम्मत, यात्रा या मेडिकल खर्च। उदाहरण के लिए, अगर आप ₹1 लाख का लोन 2 साल के लिए लेते हैं और ब्याज दर 11% है, तो आपकी EMI करीब ₹4,660 प्रति माह होगी।
इसमें ब्याज दरें क्रेडिट कार्ड के मुकाबले कम कम होती हैं यानी करीब 10%-18% तक। पूरी रकम एक साथ मिलती है। क्रेडिट कार्ड लिमिट पर असर नहीं पड़ता। अब नुकसान की बात करें तो प्रोसेसिंग फीस और डॉक्यूमेंटेशन जरूरी होता है। अप्रूवल में समय लग सकता है।
अगर आपको छोटी खरीदारी करनी है और जल्दी से भुगतान करना है, तो क्रेडिट कार्ड EMI सही विकल्प है, लेकिन अगर आपकी जरूरत बड़ी रकम की है और आप लंबे समय तक किस्तें देना चाहते हैं, तो पर्सनल लोन बेहतर रहेगा।
अब कुल मिलाकर कहें तो दोनों विकल्प सुविधाजनक हैं, लेकिन चुनाव आपकी जरूरत, ब्याज दर और भुगतान क्षमता पर निर्भर करता है। हमेशा EMI की कुल लागत, प्रोसेसिंग फीस और ब्याज दरों की तुलना करें। तभी समझदारी भरा फैसला लिया जा सकता है। एक बात हमेशा याद रखें कि सस्ता लोन वही नहीं जो EMI कम दिखाए, बल्कि वो है जिसमें कुल भुगतान सबसे कम हो।
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