राम रहीम को फिर जेल से मिली 'आजादी', जानें फर्लो और पैरोल के बीच क्या है अंतर?
Difference Between Parole and Furlough: दुष्कर्म और हत्या के मामले में राम रहीम को छह माह बाद एक बार फिर से फर्लो मिल गई। साथ ही यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम को हाई कोर्ट से बड़ी राहत के तौर पर पैरोल मिली। 11 साल में पहली बार इलाज के लिए आसाराम को पैरोल मिली है। ऐसे में समझते हैं कि फर्लो और पैरोल आखिर है क्या?
राम रहीम (बाएं) और आसाराम (दाएं)
मुख्य बातें
- छह माह बाद जेल से फिर रिहा हुआ राम रहीम।
- आसाराम को हाई कोर्ट ने दी पैरोल।
- दोनों उम्रकैद की काट रहे सजा।
Difference Between Parole and Furlough: राम रहीम, इस नाम से तो संभवत: पूरा देश परिचित होगा और जिन्हें राम रहीम के बारे में नहीं पता है तो बता दें कि वह डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है और दुष्कर्म और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है, लेकिन एक और नाम चर्चा में है। राम रहीम के अलावा आसाराम को भी कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर आने का मौका मिल रहा है।
यौन उत्पीड़न मामले में आसाराम को भी उम्रकैद की सजा हुई थी, लेकिन 11 साल में पहली बार उसे पैरोल पर बाहर आने का मौका मिल रहा है। राजस्थान हाई कोर्ट ने आसाराम को इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल दी है, जबकि राम रहीम को 21 दिन की फर्लो मिली है तो चलिए समझते हैं कि फर्लो और पैरोल में आखिर क्या अंतर है।
फर्लो और पैरोल में क्या है अंतर?
फर्लो और पैरोल दोनों में ही जेल में सजा काट रहे कैदियों को कुछ वक्त के लिए बाहर जाने की अनुमति मिलती है, लेकिन दोनों में काफी अंतर है। फर्जी को कैदियों के अधिकार के तौर पर देखा जाता है, जबकि पैरोल अधिकार नहीं है। हालांकि, दोनों को ही कैदियों की सुधार प्रक्रिया के हिस्से के तौर पर देखा जाता है।
पैरोल में कैदी को कुछ समय के लिए अस्थायी तौर पर रिहा किया जाता है ताकि वह अपने परिवार या समुदाय के साथ जुड़ा रह सके। हालांकि, कैदी को पैरोल देने से इनकार भी किया जा सकता है। यह पूरी तरह से कैदी के व्यवहार पर निर्भर करता है।
आसाराम (बाएं) और राम रहीम (दाएं)
तस्वीर साभार : Times Now Digital
फर्लो कुछ-कुछ पैरोल की तरह ही है, लेकिन इसमें कुछ बुनियादी अंतर भी है। लंबे समय तक कैद की सजा काटने वाले कैदियों को फर्लो दी जाती है। इसे एक प्रकार से कैदी को दी जाने वाली छूट के तौर पर देखा जाता है। समय-समय पर कैदी को परिवार एवं सामाजिक तानेबाने से जुड़े रहने के लिए प्रदान की जाती है।
क्या सजा में गिना जाता है अस्थाई रिहाई का वक्त?
किसी कैदी को अगर पैरोल मिली है तो उसे सजा के रूप में नहीं गिना जाता, जबकि अस्थायी रिहाई के तौर पर दी जाने वाली फर्लो के दौरान जेल से बाहर गुजारे गए समय को सजा की अवधि में ही गिना जाता है।
दोबारा कब कर सकते हैं आवेदन?
पैरोल और फर्लो के लिए फिर से आवेदन करने की समयसीमा काफी अलग है। एक बाद पैरोल मिलने के छह माह बाद दोबारा से कैदी पैरोल के लिए आवेदन दे सकता है, जबकि फर्लो के मामले में समयसीमा कम है। दोबारा फर्लो के लिए महज एक माह बाद ही अनुरोध किया जा सकता है। जैसा कि पहले ही आप लोगों को बताया जा चुका है कि यह पूरी तरह से कैदियों के व्यवहार पर निर्भर करता है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में छह माह से कम समय में भी पैरोल के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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अनुराग गुप्ता author
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