Delhi Ordinance Bill: राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश को कैसे चुनौती दे पाएगी AAP? कितना जरूरी कांग्रेस का साथ; समझें पूरा गणित
Delhi Ordinance News: केंद्र के अध्यादेश(Delhi Ordinance News) को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है, हालांकि ऐसा काफी मुश्किल माना जा रहा है। आइए समझते हैं आखिर केंद्र के इस अध्यादेश में क्या है? इस अध्यादेश का राज्यसभा से क्या लेना-देना है? विपक्षी पार्टियां इसे कैसे रोक सकती हैं? राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा क्या है और अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के साथ की जरूरत क्यों है?
Updated May 24, 2023 | 10:47 PM IST
Arvind Kejriwal
Delhi Ordinance News : दिल्ली में IAS अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग(Delhi Service Ordinance) का मामला लगातार उलझता ही जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद केंद्र ने इस मसले पर अध्यादेश (Delhi Ordinance News) लाकर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली हैं, जिसको लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे हैं। उन्होंने इस अध्यादेश को कानूनी और सियासी दोनों मोर्चों पर चुनौती देने का ऐलान किया है। केजरीवाल ने कहा है कि अध्यादेश ( Ordinance Bill ) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी जाएगी, साथ ही वह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि यह अध्यादेश राज्यसभा(Rajya Sabha) में पास न हो पाए। इसके लिए केजरीवाल विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांग रहे हैं।
केंद्र के अध्यादेश(Delhi Ordinance) के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के इस अभियान को कई विपक्षी पार्टियों ने समर्थन दिया है। उन्होंने राज्यसभा में इसके खिलाफ वोट करने का ऐलान किया है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल के लिए इस अध्यादेश (what is ordinance) को रोकना काफी मुश्किल माना जा रहा है। अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकने के लिए उन्हें बहुमत के आंकड़े की जरूरत पड़ेगी, इसके लिए उन्हें हर हाल में राज्यसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का साथ चाहिए होगा, लेकिन ऐसा होना काफी मुश्किल माना जा रहा है।
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आइए समझते हैं आखिर केंद्र के इस अध्यादेश में क्या है? इस अध्यादेश का राज्यसभा से क्या लेना-देना है? विपक्षी पार्टियां इसे कैसे रोक सकती हैं ? राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा क्या है और अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के साथ की जरूरत क्यों है?
पहले अध्यादेश के बारे में जानते हैं?
दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे के मामले में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होना चाहिए। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ एक अध्यादेश जारी किया। इस अध्यादेश के तहत अधिकारियों की अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है। इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह सचिव को सदस्य बनाया गया है। ये तीनों बहुमत से अधिकारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सिफारिश करेंगे। हालांकि, अंतिम फैसला उपराज्यपाल का होगा।
अध्यादेश का राज्यसभा से क्या लेना-देना?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। आसान भाषा में समझें तो यह कम समय के लिए बनाया गया कानून होता है। अध्यादेश तब लाया जाता है, जब संसद का सत्र न चल रहा हो। हालांकि, अध्यादेश पारित होने के छह महीने के भीतर संसद का सत्र बुलाया आवश्यक होता है और इसे संसद में पास कराना होता है।
राज्यसभा में पार्टियों की स्थिति-
भाजपा - 91
कांग्रेस - 31
टीएमसी - 13
डीएमके - 10
आम आदमी पार्टी - 10
बीजद- 9
वाईएसआर कांग्रेस - 9
टीआरएस- 7
राजद- 6
सीपीआई- 5
जदयू- 5
अन्नाद्रमुक- 4
एनसीपी- 4
समाजवादी पार्टी- 3
शिवसेना- 3
राज्यसभा का क्या है गणित?
राज्यसभा में वर्तमान सदस्यों की संख्या 238 है। ऐसे में किसी भी विधेयक को पारित कराने के लिए यहां बहुमत के आंकड़े 120 को पार करना होगा। सदन में इस समय भाजपा के 91 सांसद हैं। हालांकि, अगर एनडीए (भाजपा+) के सदस्यों की संख्या 110 है। ऐसे में अगर बीजद व टीडीपी जैसी पार्टियों उसका समर्थन करती हैं तो भाजपा इस अध्यादेश को आसानी से पारित करा सकती है।
अब जानिए AAP को कांग्रेस के साथ की क्यों जरूरत?
दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे को लेकर लाए गए अध्यादेश को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को हर हाल में कांग्रेस के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। दरअसल, राज्यसभा में भाजपा के बाद कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 31 है, तो वहीं पूरे यूपीए को मिलाकर यह संख्या 64 पहुंच जाती है। ऐसे में अध्यादेश को राज्यसभा में पारित होने से रोकने के लिए आप को कांग्रेस सदस्यों के वोट की जरूरत पड़ेगी।
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