Aug 18, 2023

न होते भारतीय बच्चे तो बर्बाद हो जाती BATA, इस एक जूते ने ला दिया गोल्डन पीरियड

Ashish Kushwaha

बाटा का नाम हर जुबान पर

भारत में जब जूते- चप्पल खरीदने की बात होती है तो बाटा का नाम जरूर आता है।

Credit: Bata

​बाटा नहीं है भारतीय कंपनी​

यदि आपको भी ये लगता है कि बाटा भारतीय कंपनी है तो जान लें कि ये चेकोस्लोवाकिया देश की कंपनी है। जिसे थॉमस बाटा ने 1894 में शुरू किया था।

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​ फैमिली के साथ शुरू किया बिजनेस ​

उन्होंने गांव में ही दो कमरे किराए लेकर बहन एन्ना और भाई एंटोनिन के साथ यह फैमिली बिजनेस शुरू किया था।

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मां से पैसे मांगे और कच्चा माल खरीदा

मां से कुछ पैसे लेकर कच्चा माल खरीदा और किसी तरह कारोबार की शुरुआत की थी। 6 साल में काम तेजी से बढ़ा जिससे दो कमरे छोटे पड़ने लगे।

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​ भारत में कोलकाता से की शुरुआत ​

साल 1931 में बाटा ने भारत में कोलकाता से सटे कोन्नार नाम के एक छोटे से गांव में अपनी कंपनी की शुरुआत की। देश में पहली शू कंपनी स्थापित हुई।

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​कंपनी के नाम से शहर का नाम हुआ बाटानगर​

भारत में लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि कंपनी के नाम से वह शहर बाटानगर के नाम से पुकारा जाने लगा।

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​1936 को इसलिए कहते है गोल्डन दौर​

ऐसा समय भी जब कंपनी का धंधा मंदा पड़ गया था ऐसे समय में 1936 भारतीय स्कूली बच्चों के लिए बनाया गया खास तरह का रबर टो गार्ड जूता कंपनी के अब तक के सबसे अधिक बिकने वाले जूतों में से एक बन गया था जिससे कंपनी को काफी फायदा हुआ और घाटे से उबरने में मदद मिली।

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भारत में ऐसे बढ़ा जूतों का चलन

जूते के लिए कंपनी ने टेटनस बीमारी से सावधान रहने के संदेश के साथ ऐड चलाया जिसके चलते भारत में जूतों का चलन बढ़ा, और टो गार्ड वाला जूते को लोगों ने जमकर खरीदा।

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