Train Accident: क्या 'कवच' से टल सकता था बालासोर रेल हादसा? यहां जानिए कैसे काम करती है ये तकनीक
Train Accident: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 4 मार्च, 2022 को भारतीय रेल के 'कवच' की टेस्टिंग में खुद शामिल हुए थे। रेल मंत्री ने एक वीडियो पोस्ट की थी, जिसमें आमने-सामने से पूरी रफ्तार के साथ आ रही 2 ट्रेनें बिना ब्रेक लगाए अपने आप रुक गई थीं।
Updated Jun 3, 2023 | 06:06 PM IST
मालगाड़ी से टक्कर के बाद बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे डिब्बे
तस्वीर साभार : PTI
Train Accident : केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 4 मार्च, 2022 को भारतीय रेल के 'कवच' की टेस्टिंग में खुद शामिल हुए थे। रेल मंत्री ने एक वीडियो पोस्ट की थी, जिसमें आमने-सामने से पूरी रफ्तार के साथ आ रही 2 ट्रेनें बिना ब्रेक लगाए अपने आप रुक गई थीं। रेल मंत्रालय ने बताया था कि कवच सिस्टम से रेल हादसों पर लगाम लगेगी और यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी। लेकिन शुक्रवार की शाम ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद से पूरे देश में एक बार फिर कवच सिस्टम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लोग जानना चाहते हैं कि क्या कवच सिस्टम इस बड़े हादसे को रोक सकता था?
1445 रूट किलोमीटर लाइन पर इंस्टॉल हुआ है कवच
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भारतीय रेल के दक्षिण मध्य रेलवे के मुताबिक अप्रैल 2022 तक कुल 1445 रूट किलोमीटर की रेल लाइन, मुख्यतः दक्षिण भारत में कवच सिस्टम को इंस्टॉल किया गया है। लेकिन ओडिशा में जहां ये रेल हादसा हुआ, वहां कवच सिस्टम इंस्टॉल नहीं हुआ है। यहां गौर करने वाली एक बात ये भी है कि कवच सिस्टम रेल के इंजन में इंस्टॉल किए जाते हैं, जिससे आमने-सामने से आ रही ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है।
क्या कवच से रुक सकता था हादसा
बालासोर में जिस तरह का हादसा हुआ, वहां यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारी थी जबकि उसका इंजन आगे था। अगर इस ट्रेन में कवच सिस्टम होता, तब भी ये टक्कर नहीं रुकती। क्योंकि कवच सिर्फ उन परिस्थितियों में ही काम करता है जब आमने-सामने से आ रही दो ट्रेनों के इंजन में ये सिस्टम इंस्टॉल हो और काम कर रहा हो। बताते चलें कि कवच सिस्टम ट्रेन के पीछे भी इंस्टॉल किया जा सकता है, जिससे दो ट्रेनों के बीच आगे-पीछे की टक्कर को भी रोका जा सकता है। हालांकि, भारत में ट्रेन के पीछे कवच डिवाइस को लगाकर टेस्टिंग नहीं हुई है।
Successful trial of Kavach!!
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 4, 2022
A Rear End Collision was avoided with the help of Kavach between two trains/locos approaching each other on same track.
Loco was stopped automatically by Kavach at a distance of around 380 metres between them. #BharatKaKavach pic.twitter.com/t7BP4Tx0XY
मालगाड़ी से टक्कर के बाद बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे डिब्बे
मालगाड़ी को टक्कर मारने के बाद यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे पटरी से उतरकर बगल वाली पटरी पर पहुंच गए थे। जिसके बाद दूसरी दिशा से आ रही शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस भी लाइन पर पड़ी यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के उतरे हुए डिब्बों से जा भिड़ी। अगर शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस के इंजन में भी कवच होता तब भी ये टक्कर नहीं रुकती।
Automatic whistle test Passed!
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 4, 2022
Hon'ble MR Shri @AshwiniVaishnaw witnessed the successful trial of KAVACH.
KAVACH has this unique feature which initiates automatic whistling without any intervention from the Locopilot. #BharatKaKavach pic.twitter.com/EhgPpzTgVc
जिन रेल इंजन में और जिस रूट पर कवच इंस्टॉल होता है, वहां ये कवच से लैस इंजन वाले ट्रेनों को SPAD यानी लाल बत्ती को पार करने से भी रोकता है। लेकिन इस पूरे हादसे में ये कहा जा सकता है कि बालासोर रेल एक्सीडेंट वाले रेल रूट पर कवच सिस्टम इंस्टॉल ही नहीं था।
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