Jan 7, 2024
अंतरिक्ष के लिए जब रॉकेट को लॉन्च किया जाता है तब उसका तापमान कई हजार सेल्सियस को पार कर जाता है
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इतने तापमान के बाद भी न तो रॉकेट जलता है और न ही पिघलता है, आखिर क्यों
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लॉन्चिंग के समय रॉकेट इंजन द्वारा उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा 2500 - 35000 डिग्री केल्विन हो सकती है
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यानि कि रॉकेट का तापमान 2226 - 3200 डिग्री सेल्सियस या 4040 - 5800 डिग्री फ़ारेनहाइट तक हो सकता है
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रॉकेट के इंजन का तापमान जिस लेवल पर पहुंचता है, वहां पर लगभग हर वस्तु पिघल सकती है
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इसके पीछे दो कारण है, पहला वो कारण है कि जिस मेटेरियल से रॉकेट को बनाया जाता है
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आज उपयोग में आने वाले तरल रॉकेट इंजन ज्यादातर धातु मिश्र धातुओं से निर्मित होते हैं
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निकेल, कोबाल्ट और लौह-निकल प्रणालियों पर आधारित सुपरअलॉय का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है
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जो इतनी गर्मी को सह जाते हैं, दूसरा कारण है इसमें लगी कूलिंग सिस्टम तो इसे तपमान सहने में मदद करती है
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