3000 डिग्री सेल्सियस तापमान के बाद भी रॉकेट पिघलता क्यों नहीं है

शिशुपाल कुमार

Jan 7, 2024

कई हजार सेल्सियस तापमान

अंतरिक्ष के लिए जब रॉकेट को लॉन्च किया जाता है तब उसका तापमान कई हजार सेल्सियस को पार कर जाता है

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भारत ने दिखाया दम

रॉकेट पिघलता नहीं

इतने तापमान के बाद भी न तो रॉकेट जलता है और न ही पिघलता है, आखिर क्यों

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2500 - 35000 डिग्री केल्विन

लॉन्चिंग के समय रॉकेट इंजन द्वारा उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा 2500 - 35000 डिग्री केल्विन हो सकती है

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2226 - 3200 डिग्री सेल्सियस

यानि कि रॉकेट का तापमान 2226 - 3200 डिग्री सेल्सियस या 4040 - 5800 डिग्री फ़ारेनहाइट तक हो सकता है

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पिघल जाती है वस्तु

रॉकेट के इंजन का तापमान जिस लेवल पर पहुंचता है, वहां पर लगभग हर वस्तु पिघल सकती है

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दो कारण

इसके पीछे दो कारण है, पहला वो कारण है कि जिस मेटेरियल से रॉकेट को बनाया जाता है

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किससे बनता है रॉकेट

आज उपयोग में आने वाले तरल रॉकेट इंजन ज्यादातर धातु मिश्र धातुओं से निर्मित होते हैं

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इनका प्रयोग

निकेल, कोबाल्ट और लौह-निकल प्रणालियों पर आधारित सुपरअलॉय का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है

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कूलिंग सिस्टम

जो इतनी गर्मी को सह जाते हैं, दूसरा कारण है इसमें लगी कूलिंग सिस्टम तो इसे तपमान सहने में मदद करती है

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