Jan 17, 2024
सदियों साल पहले मुस्लिम देश इंडोनेशिया एक हिंदू देश था। यहां खूब मंदिर थे और भगवान राम की पूजा होती थी।
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आज भी इस देश में जगह-जगह हिंदू संस्कृति और मंदिर के दर्शन होते हैं। यहां की 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है, लेकिन यहां रामायण भी पढ़ी जाती है रामलीला का मंचन भी होता है।
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साल 1973 में यहां सरकार ने यहां अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मलेन का आयोजन भी किया था। घोषित रूप से किसी मुस्लिम राष्ट्र ने पहली बार ऐसा आयोजन किया था।
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इंडोनेशिया में आज भी रामायण का इतना गहरा प्रभाव है कि कई इलाकों में रामायण के अवशेष और पत्थरों तक की नक्काशी पर रामकथा के चित्र मिल जाते हैं।
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हालांकि भारत और इंडोनेशिया की रामायण में थोड़ा अंतर है। भारत में राम की नगरी अयोध्या है, वहीं इंडोनेशिया में यह योग्या के नाम से मशहूर है।
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यहां राम कथा को ककनिन, या 'काकावीन रामायण' नाम से जाना जाता है। भारत में रामायण के रचियता आदिकवि ऋषि वाल्मिकी हैं, तो इंडोनेशिया में इसके रचयिता कवि योगेश्वर हैं।
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इंडोनेशिया की रामायण में नौसेना के अध्यक्ष को लक्ष्मण कहा जाता है, जबकि सीता को सिंता कहते हैं।
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हनुमान इंडोनेशिया के सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र हैं और हनुमान को इंडोनेशिया में अनोमान कहा जाता है।
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हनुमान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी हर साल आजादी दिवस यानी 27 दिसंबर को राजधानी जकार्ता की सड़कों पर युवा हनुमान का वेश धरकर सरकारी परेड में शामिल होते हैं।
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