ताजमहल नहीं बल्कि ये स्मारक है भारत की असली प्रेम की निशानी​

किशन गुप्ता

Jul 23, 2023

अक्सर भारत में प्रेम की निशानी के रूप में ताजमहल को ही देखा जाता है। ​

Credit: Social-Media

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लेकिन अगर कहा जाए कि असल भारत की असली प्रेम की निशानी कुछ और है तब आप क्या कहेंगे? ​

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आप सभी ने दोराबजी टाटा का नाम तो सुना ही होगा। ​

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उनकी धर्मपत्नी मेहरबाई टाटा थी, जिनका प्रेम आज भी याद किया जाता है। ​

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1924 में टाटा ग्रुप की हालत खराब चल रही थी, तब मेहरबाई ने अपना कीमती जुबली डायमंड दिया था।

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इसी हीरे को गिरवी रख सभी कर्मचारियों को पैसा दिया और फिर कुछ साल बाद इसे छुड़वा लिया। ​

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लेकिन फिर मेहरबाई इसे पहन न सकी। उनकी कैंसर के चलते मौत हो गई। ​

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इसके बाद दोराबजी टाटा ने उसी हीरे को बेचकर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल (कैंसर) की शुरुआत की थी। ​

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प्रेम की यह निशानी लोगों के लिए जीवनदायिनी बनी, जो 1941 में बनकर तैयार हुई थी। ​

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