Dec 21, 2022
पूरी दुनिया में भारतीय रेल नेटवर्क की चर्चा होती है। क्योंकि, भारतीय रेल दुनिया का सबसे चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है। जल्द ही देश में बुलेट ट्रेन चलाने की खबरें भी सामने आती रहती हैं। लेकिन, एक समय ऐसा भी था जब ट्रेन में यात्री बिना टॉयलेट के ही सफर किया करते थे। इस बात पर हो सकता है आपको यकीन ना हो रहा हो, लेकिन यह सच है।
Credit: Social-Media
भारत की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल साल 1853 को बाम्बे से ठाणे के बीच चली थी, लेकिन उस समय ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं थी।
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ट्रेन में टॉयलेट नहीं होने के कारण यात्रियों को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता था।
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तकरीबन 55 साल तक भारतीय रेल बिना शौचालय अपनी पटरियों पर दौड़ती रही।
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लेकिन, एक शख्स जिसका नाम ओखिल चंद्र सेन था उसने पूरी कहानी बदल दी। इसी शख्स के कारण ट्रेनों में शौचालय की शुरुआत की गई।
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जानकारी के मुताबिक, ट्रेनों में साल 1909 में शौचालय की शुरुआत की गई थी। इससे पहले इनमें सफर करने वाले यात्रियों को टॉयलेट की सुविधा केवल स्टेशनों पर ही मिलती थी।
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एक बार ओखिल चंद्र सेन नाम के व्यक्ति ट्रेन में सफर कर रहे थे, वो स्टेशन पर टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए रूकें और इस दौरान उनकी ट्रेन छूट गई।
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ओखिल चंद्र सेन ने पंश्चिम बंगाल के साबिहगंज मंडल कार्यालय को एक पत्र लिखा और ट्रेनों में शौचालय बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद रेलवे के अधिकारियों में 50 मील से ज्यादा दूरी तय करने वाली ट्रेनों में शौचायल बनाने की कवायद शुरू की थी।
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ओखिल चंद्र सेन का लिखा हुआ वो लेटर आज भी दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में रखा हुआ है।
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