Aug 14, 2023

देश का आखिरी डाकघर कैसे बन गया पहला, बाढ़ से लेकर हमले तक का रहता है खतरा

Ashish Kushwaha

भारतीय डाक सेवा 1.55 लाख से भी अधिक डाकघरों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली है।

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​166 साल पहले ​भारतीय डाक सेवा की हुई थी स्थापना ​

भारतीय डाक सेवा की स्थापना यूं तो 166 साल पहले एक अप्रैल 1854 को हुई थी तब तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने इस सेवा का केंद्रीकरण किया था।

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​पहला डाकघर एलओसी के करीब​

बॉर्डर के हिसाब से पहला डाकघर एलओसी के करीब है। जिसका पिन कोड 193224 है।

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​देश की आजादी से पहले ही कर रहा काम​

देश की आजादी या पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से पहले से ही यह डाकघर काम कर रहा है।

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किशनगंगा नदी के पार पाकिस्तान कब्जे वाला क्षेत्र​

ये जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) किशनगंगा नदी के तट पर स्थित है, यहां से कुछ ही दूरी पर नदी के उस पार पाकिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र है।

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​पहले इसे अंतिम डाकघर के रूप में जाना जाता था​

पहले इसे अंतिम डाकघर के रूप में जाना जाता था क्योंकि इससे आगे डिलीवरी नहीं कर सकते थे। फिर, सेना ने इसे पहले डाकघर में बदल दिया क्योंकि यह एलओसी या सीमा से दूरी के मामले में पहला डाकघर है।

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​पहले बाहर जाना, मेल पहुंचाना या पोस्ट उठाना बहुत जोखिम भरा था​

संघर्षविराम (2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता) से पहले बाहर जाना, मेल पहुंचाना या पोस्ट उठाना बहुत जोखिम भरा था। यह 1993 में केरन सेक्टर में आई अचानक बाढ़ में बह गया था।

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डाकघर से मिलती है सैनिकों को सेवा

डाकघर में डाकघर अधीक्षक, तीन पोस्टमैन काम करते हैं, जो स्थानीय लोगों और भारत में पहली पोस्ट पर तैनात सुरक्षा बलों को सेवाएं प्रदान करते हैं।

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