prabhat sharma
Sep 14, 2024
महाभारत के पात्र अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। मान्यताओं के अनुसार उन्हें उनके द्वारा किए गए छल के लिए अजर-अमर होने का शाप मिला है।
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छल से पांडवों के पुत्रों का वध करने के कारण अश्वत्थामा को शाप मिला है। कहा जाता है कि इसकी सजा वो आज भी भुगत रहे हैं। मान्यता है कि अश्वत्थामा जीवित हैं और वो दर-दर भटक रहे हैं।
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मध्यप्रदेश के एक किले में अश्वत्थामा को देखे जाने का दावा किया जाता है। कहा जाता है अश्वत्थामा इस जगह आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
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असीरगढ़ किले में अश्वत्थामा को देखे जाने का दावा किया जाता है। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से करीब 20 किमी दूर ये किला स्थित है।
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अगर आप इस किले को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले भोपाल एयरपोर्ट या फिर होशंगाबाद रेलवे स्टेशन आना होगा। इसके बाद आप आराम से बस या टैक्सी द्वारा यहां आ सकते हैं।
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मान्यता है कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा या तो वो जिंदा नहीं बचा या फिर वो मानसिक रूप से हमेशा के लिए ही कमजोर हो गया।
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अश्वत्थामा भगवान शिव के बड़े भक्त हैं। कहा जाता है इस किलें में वो देवों के देव महादेव को ही जलाभिषेक करने आते हैं। इतना ही नहीं शिव की पूजा से पहले वो किले में स्थित तालाब में स्नान भी करते हैं।
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ऐसी बातें वहां अक्सर सुनने को मिलती हैं कि अश्वत्थामा दर्द से तड़पते हुए अपने घाव से बह रहे खून को रोकने के लिए हल्दी और तेल मांगते हैं। हालांकि, इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है।
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अश्वत्थामा ने अभिमन्यू की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे की हत्या की थी। इस बात से क्रोधित होकर वासुदेव कृष्ण ने उन्हें श्राप दिया था।
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