Nov 9, 2022
By: लवीना शर्माज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है परंतु जिनकी कुंडली में ये ग्रह मजबूत होता है उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं वहीं कमजोर होने पर अशुभ परिणाम मिलते हैं।
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हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, पीड़ा, विज्ञान, दुख, रोग, तकनीकी, कर्मचारी, सेवक, लोहा, खनिज तेल आदि का कारक माना जाता है।
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शनि मकर और कुंभ राशियों के स्वामी हैं। तुला में उच्च के होते हैं और मेष में नीच के होते हैं।
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नए साल में मकर, कुंभ और मीन वालों पर शनि साढ़े साती रहेगी। धनु वाले 17 जनवरी 2023 में इससे मुक्ति पा लेंगे।
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नए साल में कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या रहेगी। जबकि मिथुन और तुला वाले 17 जनवरी 2023 में इससे मुक्त हो जायेंगे।
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शनि 17 जनवरी 2023 में मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे जहां ये 29 मार्च 2025 तक विराजमान रहेंगे।
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हर व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कभी न कभी शनि साढ़े साती का सामना करना ही पड़ता है। इसकी अवधि साढ़े सात साल की होती है।
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शनि ढैय्या ढाई साल की होती है। ये एक साथ दो राशियों पर चलती है। शनि साढ़े साती की तरह ही इसका भी प्रभाव पड़ता है।
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हर शनिवार शनि चालीसा का पाठ करें। शनिवार के दिन शनि संबंधित चीजों का दान जरूर करें।
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