Dec 29, 2023
रामानंद सागर की रामायण आज भी लोगों के दिलों में बसती है। उनके द्वारा निर्मित ‘रामायण’ धारावाहिक के प्रसारण के समय घरों में पूजा जैसा वातावरण बन जाता था।
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रामानन्द सागर का जन्म लाहौर के पास असलगुरु गांव में 29 दिसम्बर, 1927 को हुआ था। रामानन्द सागर के बचपन का नाम चन्द्रमौलि था। लेकिन उनके पिता की मामी ने उन्हें गोद ले लिया था और उन्हें रामानन्द नाम दिया।
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रामानन्द सागर की रुचि बचपन से ही पढ़ने में थी। पंजाब विश्वविद्यालय ने उन्हें स्वर्ण पदक दिया था।
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1948 में रामानंद सागर जी मुम्बई आये। जहां उनकी भेंट राज कपूर से हुई। राज कपूर ने उनकी कहानी पर ‘बरसात’ नामक फिल्म बनायी, जो सफल हुई।
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एक समय रामानन्द सागर के मन में धार्मिक भावनाओं ने जोर पकड़ा। उनकी भगवान श्रीराम के प्रति गहरी आस्था थी। वे दूरदर्शन के माध्यम से उनके जीवन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने के लिए धारावाहिक बनाना चाहते थे।
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रामानंद सागर ने कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया है कि एक रात सपने में उन्हें हनुमान जी ने दर्शन देकर रामायण का कार्य शीघ्र करने को कहा।
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उन्होंने रामायण बनाने से पहले श्रीराम से सम्बन्धित अनेक ग्रन्थ और पुस्तकों का अध्ययन किया और फिर संवाद लिखने लगे।
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रामानंद सागर जी लेखन कार्य रात में करते थे। सुबह उठकर जब वे अपने लिखे हुए संवादों को दुबारा पढ़ते थे, तो उन्हें आश्चर्य होता था। उनका मानना था कि स्वयं हनुमान जी रात में आकर उनसे ये संवाद लिखवाते थे।
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