Jul 20, 2023
Medha Chawlaसमुद्र तल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदार घाटी का संबंध नर-नारायण, पांडवों और आदिगुरु शंकराचार्य से है।
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पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों और रिश्तेदारों की हत्या का पश्चाताप करने के लिए भगवान शिव की तलाश में हिमालय पहुंचे।
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केदार घाटी की चोटियों पर स्थित ये मंदिर रहस्यमय माने जाते हैं। इन मंदिरों में त्रियुगीनारायण मंदिर सबसे खास माना जाता है।
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सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारघाटी में सरस्वती नदी के तट पर स्थित है, जिसे भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह शंकर को समर्पित है। यह पवित्र मंदिर मंदाकिनी के तट पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने पांडवों से छिपकर गुप्त रूप से तपस्या की थी।
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प्रेम का प्रतीक त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, माना जाता है कि इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। हालांकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन अभी भी कई लोगों के मन में यह गलतफहमी है कि यह शिव पार्वती का मंदिर है।
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ओंकारेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ में स्थित है। जिसकी खासियत बाबा केदार की पंचमुखी विग्रह डोली और बाबा मद्महेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल मानी जाती है।
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तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शंकर को समर्पित एक मंदिर है। जहां भगवान की भुजाओं की पूजा की जाती है। तुंगनाथ मंदिर 3640 मीटर की ऊंचाई पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
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