Jun 29, 2024

मन की मायूसियत को बहा ले जाएगा मानसून, पढ़ कर देखें बारिश पर लिखे गुलजार के 9 लाजवाब शेर

Suneet Singh

​गुलजार​

​गुलजार ने अपनी कलम से ऐसा जादू बिखेरा है कि नज्मों की दुनिया में वह हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं।

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बरसात पर गुलजार

गुलजार ने बारिश पर भी कई शेर लिखे हैं। ये शेर आपको वाह वाह करने पर मजबूर देंगे।

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बता किस कोने में सुखाऊं तेरी यादें, बरसात बाहर भी है और भीतर भी।

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कुमार विश्वास की कविता

रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ न सकोगे, बरसात में कागज़ की तरह भीग गया हूं मैं।

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बारिश

यह बारिश गुनगुनाती थी इसी छत के मुंडेरों पर, ये घर की खिड़कियों के कांच पर उंगली से लिख जाती थीं संदेशें..

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कद

​बारिश में कुछ लंबे हो जाते हैं कद भी लोगों के, जितने ऊपर हैं उतने ही पैरों के नीचे पानी में..

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चलते हैं..

ख़ुश्क था तो रास्ते में टिक टिक छतरी टेक के चलते थे, बारिश में आकाश पे छतरी टेक के टप टप चलते हैं!

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मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को, मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

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पेड़ों को नोकीली बूँदें चुभती हैं क्या, तेज़ हवा से उन की टहनियाँ दुखती हैं क्या।

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