Jun 3, 2024

​'कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं..', नतीजों से पहले पढ़ें सियासत पर ये बेहतरीन शेर​

Suneet Singh

नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है।

- राहत इंदौरी

Credit: fb

Gulzar Best Shayari

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता।

- अज्ञात

Credit: fb

धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है, न पूरे शहर पर छाए तो कहना।

- जावेद अख्तर

Credit: fb

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।

- बशीर भद्र

Credit: fb

एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।

- मुनव्वर राना

Credit: fb

इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले, ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले।

- नादिम नदीम

Credit: fb

ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा, मगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था।

- अम्बर बहराईची

Credit: fb

कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है, कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।

- इरतिज़ा निशात

Credit: fb

देखोगे तो हर मोड़ पे मिल जाएँगी लाशें, ढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा।

- ​मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद

Credit: fb

Thanks For Reading!

Next: भूलकर भी बच्चों से ना कहें ये 5 बातें, आपकी छोटी सी गलती से हो सकता है बड़ा नुकसान

Find out More