Apr 6, 2024
मीर तकी मीर ने ना जाने कितने ही उम्दा औऱ सदाबहार शेर लिखे हैं। उनकी लिखी नज्मों में से हम आपके लिए मोहब्बत में डूबे 8 शेर चुनकर लाए हैं।
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पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है।
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नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए, पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।
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अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर', फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया।
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याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ, नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा।
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होगा किसी दीवार के साए में पड़ा 'मीर', क्या रब्त मोहब्बत से उस आराम-तलब को।
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हमारे आगे तिरा जब किसू ने नाम लिया, दिल-ए-सितम-ज़दा को हम ने थाम थाम लिया।
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दिखाई दिए यूँ कि बे-ख़ुद किया, हमें आप से भी जुदा कर चले।
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'मीर' हम मिल के बहुत ख़ुश हुए तुम से प्यारे, इस ख़राबे में मिरी जान तुम आबाद रहो।
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