May 5, 2024
'तुम्हें याद आएंगे हम, ये याद रखना..', दिल के हर तार छेड़ देंगे हफीज़ जालंधरी के ये शेर
Suneet Singh
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया, जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया।
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ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है, बात होती है मगर बात नहीं होती है।
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Why Hand Hygiene Important
आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए, आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए।
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Feeling Cold Reasons
जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा, वही मेरा भी ख़ुदा हो मुझे मंज़ूर नहीं।
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'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोली, न उर्दू न हिन्दी न हिन्दोस्तानी।
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इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था, कि इश्क़ भेज दिया जान-ए-मुब्तला के लिए।
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मुझे तो इस ख़बर ने खो दिया है, सुना है मैं कहीं पाया गया हूँ।
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नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले, फिर देख लिया उस ने उसी एक नज़र से।
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भुलाई नहीं जा सकेंगी ये बातें, तुम्हें याद आएँगे हम याद रखना।
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