बिहार में एलजेपी(आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार सरकार से मांग की है ताड़ी पर से बैन उठाया जाए। बता दें कि शराब की तरह ताड़ी पर भी बिहार में बैन है।
आमतौर पर धारणा है कि ताड़ी पीने से नुकसान कम होता है। अगर ताड़ी का सेवन सुबह किया जाए तो उससे नुकसान कम होता है। लेकिन शाम के वक्त सेहत के लिए नुकसानदायक बताया जाता है।
ताड़ी की वजह से हल्का सिरदर्द, चक्कर आना। लंबे समय तक सेवन करने से लिवर, पैंक्रियास और मष्तिष्क को नुकसान पहुंचता है।
ताड़ी को वजन बढ़ाने में मददगार माना जाता है, कब्ज में लाभ मिलता है, पेट दर्द में राहत मिलती है, हड्डियां भी मजबूत होती हैं, कैंसर से बचाव करती है। लेकिन यह फायदे तब सामने नजर आते हैं जब ताड़ी का सेवन तय सीमा में किया जाए।
जानकार कहते हैं कि ताड़ी हो या शराब सेवन करने से बचना चाहिए। लेकिन शराब के मुकाबले ताड़ी में अल्कोहल की मात्रा कम होती है लिहाजा इसका सेवन शराब की तुलना में कम खतरनाक माना जाता है।
लिकर में आमतौर पर अल्कोहल की मात्रा अधिक होती है। करीब 40 फीसद तक लिकर में अल्कोहल की मात्रा होती है। अगर इसका सेवन अनियंत्रित तरीके से किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें सामने आती हैं।
अल्कोहल चार प्रकार के होते हैं एथिल, विकृतीकृत, आइसोप्रोपिल और रबिंग। जिसे हम सबसे ज्यादा जानते हैं और पसंद करते हैं वह एथिल अल्कोहल है, जिसे इथेनॉल या ग्रेन अल्कोहल भी कहा जाता है।
लिकर में वोडका, टकीला, जिन को तुलनात्मक तौर पर सेफ माना जाता है। इसमें सूगर की मात्रा कम होती है और मेटाबोलाइज आसानी से होता है
ज्यादा मात्रा में लिकर पीने से लिवर सिरोसिस की समस्या सामने आती है। लिवर सिरोसिस असाध्य बीमारी है और इसके इलाज में खर्च अधिक होता है।
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