Aug 9, 2023

जिस 'गंगू तेली' का उड़ाते हैं मजाक, उसकी रईसी के किस्‍से सुन दंग रह जाएंगे

प्रांजुल श्रीवास्तव

​काफी प्रसिद्ध है कहावत​

आपने वह कहावत तो जरूर सुनी होगी कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली।

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​मजाक उड़ाने के लिए होती है प्रयोग​

इस कहावत का प्रयोग अक्सर दो लोगों की तुलना और किसी का मजाक उड़ाने के लिए किया जाता है।

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​नहीं जानते होंगे मतलब?​

आप इस कहावत का मतलब यही जानते होंगे कि राजा भोज किसी अमीर और गंगू तेजी किसी गरीब के लिए प्रयोग किया जाता है।

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​हो जाएंगे हैरान​

आपने कहावत का जो अर्थ सुना हो, लेकिन असलियत इसके बिल्कुल उलट है।

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​गंगू तेली को जान लीजिए​

असल में गंगू तेजी कोई एक इंसान नहीं था, बल्कि यह दो लोग थे। चेदिदेश के राजा गांगेयदेव कलचुरी और जयसिंह तेलंग।

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​कहां से बनी कहावत​

मध्यप्रदेश के धार के राजा भोज ने गांगेयदेव कलचुरी और जयसिंह तेलंग को युद्ध में पराजित किया था। तब से यह कहावत बन गई।

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​सही कहावत भी जानिए​

दोनों राजाओं के पराजित होने के बाद कहावत बनी कहां राजा भोज कहां गांगेय तेलंग। बाद में अपभ्रंशित होकर यह गंगू तेली हो गया।

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