Dec 15, 2022
By: प्रशांत श्रीवास्तवदुनिया में पठानों या पश्तून की मुस्लिम समुदाय में सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी है।
भारत में पठानों के पहले निशान 1000-1200 ईस्वी के दौरान माना जाता है। पठान जनजातियों को ककर, बंगश, तारेन और अफरीदी आदि उपनामों से जाना जाता है इसके अलावां यह टाइटल में खान भी लगाते हैं।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और क्रिकेटर शाहिद अफरीदी भी इसी समुदाय से आते हैं।
अब्दुल गफ्फार खान जिन्हें सीमांत गांधी कहा जाता है, वह पठान थे। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही है।
एक अनुमान के अनुसार, 21 वीं सदी में पाकिस्तान में करीब 2.5 करोड़ आबादी पश्तून या पठानों की है।
पठान पश्तो भाषा बोलते हैं, जो कांधारी पश्तो और पेशावरी पश्तो में बंटी हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ज्यादातर पठान आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और वह पारंपरिक कारोबार करते हैं।
पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी करीब 1.5 करोड़ पठान रहते हैं। हालांकि गृहयुद्ध के कारण बड़ी संख्या में विस्थापन भी हुआ है।
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