Nov 20, 2023
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में हलाल सर्टिफिकेट से जुड़े प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी है। सरकार का कहना है कि तेल, साबुन, शहद और टूथपेस्ट जैसे शाकाहारी सामानों के लिए हलाल प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है।
Credit: WikiMedia-Commons/Social-Media
सरकार के मुताबिक, इससे एक आपराधिक साजिश के संकेत मिलते हैं जो एक निश्चित आबादी और उसके वस्तुओं को टारगेट कर रहा है। पाबंदी का उद्देश्य भ्रम से बचना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।
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चलिए समझ लेते हैं कि क्या होता है हलाल प्रोडक्ट और इसके लिए सर्टिफिकेट कौन जारी करता है।
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साल 1993 तक सिर्फ मीट प्रोडक्ट्स के लिए हलाल सर्टिफिकेट जारी किया जाता था। बाद में ब्यूटी प्रोडक्ट्स और दवाइयों के लिए भी इसे जारी किया जाने लगा।
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हलाल का मतलब है इस्लामी कानून के तहत बने प्रोडक्ट्स। हलाल सर्टिफिकेट इस्लामिक देशों में इस्लामिक संगठन देते हैं।
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भारत में करीब 12 कंपनियां ऐसी हैं, जो हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं और ये सर्टिफिकेट इस्लामिक कानून के तहत होता है।
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यह सर्टिफिकेट इसलिए दिया जाता है, ताकी प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट आसान हो जाए। ग्लोबल फूड मार्केट का लगभग 19 फीसदी हलाल प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी है। इसके अलावा कई देशों में सिर्फ हलाल प्रोडक्ट्स की ही अनुमति है।
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भारत में हलाल सर्टिफिकेशन आमतौर पर एक थर्ड-पार्टी के जरिए जारी किया जाता है। भारत में इसके लिए कोई भी सरकारी संस्था नहीं है।
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