Sep 15, 2023

मुगल वास्तुकला की ये हैं बेजोड़ नमूने, दुनिया करती है नाज

Alok Rao

कई शैलियों का मिश्रण

मुगल स्थापत्य कला में भारतीय, अरबी, फारसी और तुर्की शैलियों का मिश्रण मिलता है।

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मीनार से बढ़ी शोभा

मुगल कालीन इमारतों एवं भवनों में गुंबद एवं मीनार भव्य बनाए जाते थे। इनसे इमारतों की शोभा बढ़ जाती है।

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पकी हुई ईंट का भी उपयोग​

गुंबदों और मेहराबों के निर्माण के लिए पकी हुई ईंट का भी उपयोग किया जाता था।

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सफेद संगमरमर खास

मुगल वास्तुकला की विशेषता सफेद संगमरमर है, जिसे ताजमहल की भव्यता में देखा जा सकता है।

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​ऑप्टिकल भ्रम​

ताजमहल की मीनारों को एक ऑप्टिकल भ्रम पैदा करने के लिए एक विशिष्ट तरीके से रखा गया है।

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बेहतरीन नक्काशी

इमारतों की सजावट मूल रूप से रंगीन, नक्काशीदार और जड़े हुए पत्थर से की जाती थी।

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नक्काशीदार पत्थर ​

नक्काशीदार पत्थर का कार्य मुगल वास्तुकला का एक और दिलचस्प विशेषता है।

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मिश्रण का शानदार नमूना

वास्तुकला इस्लामी, फारसी, तैमूरी, और हिंदू शैलियों की मिली-जुली शैली का शानदार नमूना दिखाती है।

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​भारत में फली-फूली​

मुगल वास्तुकला 16वीं सदी के मध्य से 17वीं सदी के अंत तक उत्तर और मध्य भारत में फली-फूली।

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