Jul 30, 2023

दिन में बनती थी और रोज रात में गिरा दी जाती थी लखनऊ की यह इमारत

Alok Rao

लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर भी कहा जाता है। यहां नवाबों एवं मुगल बादशाहों द्वारा बनाई गईं कई ऐतिहासिक इमारतें हैं।

Credit: PTI

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​आसफ-उद-दौला ने कराया निर्माण​

इन्हीं इमारतों में से एक इमामबाड़ा। इमामबाड़ा का निर्माण 1784 ई. में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने कराया था। लखनऊ में अकाल के दौरान लोगों को रोजगार देने के लिए इसका निर्माण हुआ।

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निर्माण में ​20,000 श्रमिक शामिल थे

इमामबाड़ा के निर्माण में करीब 20,000 श्रमिक शामिल थे जिनको रोजगार मिला। खास बात यह है कि रात के समय में इमारत का निर्माण गिरा दिया जाता था ताकि लोगों को रोजगार मिलता रहे।

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​11 साल तक चला निर्माण​

बताया जाता है कि इमामबाड़ा का निर्माण और अकाल दोनों ही 11 साल तक चले। इमामबाड़ा में टेढ़े-मेढ़े रास्‍ते हैं जो कि भ्रम पैदा करते हैं, इसलिए इसे भूल-भुलैया भी कहा जाता है।

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​बाहर निकलने के लिए सिर्फ 1 रास्ता

गोमती नदी के किनारे स्थित बड़ा इमामबाड़ा की वास्‍तुकला, ठेठ मुगल शैली को दर्शाता है। अंदर जाने के लिए यहां 1024 से भी ज्यादा छोटे-छोटे रास्तों का जाल है। बाहर निकलने के लिए सिर्फ 1 रास्ता है।

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खास है इमामबाड़ा का झरोखा

इसके झरोखे से इसमें प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को देख सकते हैं जबकि वह व्यक्ति आपको बिल्कुल भी नहीं देख सकता है।

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फिर नहीं बन सका ऐसा झरोखा

कहा जाता है कि ऐसा झरोखा फिर किसी भी भवन में नहीं बनाया जा सका। बड़ा इमामबाड़ा की छत पर जाने के लिए 84 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्तों से होकर जाती हैं।

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न पूरी तरह मस्जिद, न मकबरा

इमामबाड़ा के बारे में एक रोचक एवं दिलचस्प बात यह भी है कि यह ना तो पूरी तरह से मस्जिद है और न ही मकबरा है।

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लोग डरते भी हैं

इमामबाड़ा देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। भूल-भुलैया में जाकर लोग आनंद उठाते हैं। कइयों को इसमें डर भी लगता है।

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