वो पठान जिसने बचाई थी महाराणा प्रताप की जान

Amit Mandal

Jul 17, 2023

पठान ने महाराणा के लिए लगाई जान की बाजी

हाकिम खां सूरी वो अफगान योद्धा था जिसने मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी।

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शेरशाह सूरी का था वंशज

इस योद्धा ने मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप को बचाने की प्रतिज्ञा ली थी। हाकिम खां सूरी, शेरशाह सूरी का वंशज था।

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मेवाड़ की सेना में हुआ भर्ती

मुगलों ने पठानों को सत्ता से बाहर किया तो इसका बदला लेने के लिए हाकिम खां सूरी मेवाड़ की सेना में भर्ती हो गया था।

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सेनापति बनाने का हुआ विरोध

जब हाकिम खां सूरी को महाराणा प्रताप ने सेनापति बनाया तो विरोध के स्वर उठे कि एक मुस्लिम पर क्यों भरोसा जताया जा रहा है।

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कहा था, इस पठान के हाथ से नहीं छूटेगी तलवार

तब हाकिम खां ने दरबार में कहा था कि मेरे शरीर में जब तक जान रहेगी तब तक इस पठान के हाथ से तलवार नहीं छूटेगी।

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हल्दी घाटी का युद्ध छिड़ा

18 जून 1576 का दिन को हल्दी घाटी का युद्ध छिड़ा। महाराणा प्रताप की तरफ से मोर्चा हाकिम खां सूरी ने संभाला।

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अकबर के आने की खबर फैलाई

जब महाराणा प्रताप की सेना भारी पड़ने लगी तो मुगलों की सेना में बात फैलाई गई कि खुद बादशाह अकबर युद्ध भूमि में आ रहे हैं।

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मुगल सेना में आया जोश

इससे सैनिकों में जोश आ गया और महाराणा प्रताप घिर गए। उन्हें बाहर ले जाने की रणनीति तय हुई। लेकिन वो जाने को तैयार नहीं थे।

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हाकिम खां ने दिया भरोसा

महाराणा प्रताप को हाकिम खां सूरी भामाशाह के पास लेकर पहुंच गए। उन्होंने महाराणा से कहा कि आप निश्चिंत होकर जाइए, हम शत्रुओं को आगे नहीं बढ़ने देंगे।

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अकबर की सेना को रोका

हाकिम खां सूरी ने वाकई अकबर की सेना को आगे नहीं बढ़ने दिया, ये बहादुर लड़ते-लड़ते 21 जून 1576 को युद्ध में शहीद हो गया।

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मरते दम तक नहीं छूटी तलवार

कहते हैं कि जब हाकिम खां सूरी को जब दफन किया गया तो उनके हाथ से तलवार नहीं छूटी थी। उन्हें कब्र में तलवार के साथ दफनाया गया।

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