अंतरिक्ष में अलग-अलग स्थानों पर चंद्रयान 3 से अलग हुए ये चारों
रॉकेट LVM3-M4 से रॉकेट बूस्टर, हीट शील्ड, लिक्विड इंजन और क्रायोजेनिक इंजन वायुमंडल में किस-किस स्थान पर अलग हुए।
Credit: ISRO
सबसे पहले चांद की ओर लेकर चला रॉकेट LVM3-M4
चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को 2 बजकर 35 मिनट पर हुई। चंद्रयान 3 को लेकर रॉकेट LVM3-M4 चांद की ओर लेकर चला।
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सबसे पहले 62 किलोमीटर की ऊंचाई पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हुए
130 सेकेंड बाद 62 किलोमीटर की ऊंचाई पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए। इसरो ने इसका नाम एस200 दिया। स्ट्रैप ऑन की लंबाई 26.22 मीटर होती है। रॉकेट के इस हिस्से को सॉफ्टवेयर ऑन पैरासूट की मदद से बंगाल की खाड़ी में गिराया गया।
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114 किलोमीटर की ऊंचाई पर दोनों हीट शील्ट अलग हो गईं
उसके बाद रॉकेट का मेन इंजन स्टार्ट हो गया। 196 सेकेंड के बाद दोनों हीट शील्ट अलग हो गई। यह रॉकेट का सबसे आगे का हिस्सा होता है। रॉकेट से अलग होने की प्रक्रिया को पीएलएफ सेप्रेशन कहते हैं। यह 114 किलोमीटर ऊपर अलग हुआ। यहां ग्रेविटी जीरो होती है। चीजें अंतरिक्ष में तैरती हैं। वहां से धरती पर आते-आते जलकर खाक हो जाती हैं।
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175 किलोमीटर की ऊंचाई पर लिक्विड इंजन अलग हुआ
360 सेकेंड बाद लिक्विड इंजन अलग हुआ। यह रॉकेट का मेन इंजन होता है। इसे L110 कहते हैं। यह चंद्रयान 3 को 175 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचाकर छोड़ दिया। यह काम लॉन्च के 5 मिनट बाद हुआ। वैज्ञानिक इसे सॉफ्टवेयर ऑन पैरासूट की मदद से समुद्र में गिरा देते हैं।
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175.57 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रायोजेनिक इंजन अलग हुआ
उसके बाद क्रायोजेनिक इंजन स्टार्ट हुआ। चंद्रयान को लेकर पृथ्वी की कक्षा की ओर तेजी से आगे बढ़ा। कुछ दूर आगे जाकर क्रायोजेनिक इंजन बंद होकर चंद्रयान से अलग हो गया। 175.57 किलोमीटर की ऊंचाई पर अलग होने के बाद अंतरिक्ष में तैरता रहता है। वैज्ञानिक पर नजर रखते हैं ताकि यह आबादी वाले इलाके में न गिरे। धीरे-धीरे इसे समुद्र में गिराया जाता है।
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16 मिनट बाद चंद्रयान 3 पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया
चंद्रयान 3 लॉन्चिंग के 16 मिनट 15 सेकेंड के बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। उसके बाद फिर यह चंद्रमा के पास चल गया।
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