तेज हवा के कारण सागर की लहरें उठती हैं और सागर में ही समा जाती हैं। उनका अलग कोई अस्तित्व नहीं होता, ऐसे ही परमात्मा के बिना मानव का कोई अस्तित्व नहीं होता।
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कर्म ही धर्म
कर्म करना हमारा धर्म है, फल पाना हमारा सौभाग्य है।
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गुणवान की करें पूजा
ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन।
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कर्म से बनें महान
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।
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माता पिता और गुरु की सेवा
माता पिता गुरुदेव, तीन देव लोक माही। इनकी सेवा कर लेवो, हरि को भजो रज खाही।
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जहां प्रेम, वहां स्वर्ग
जहां पर प्रेम न होय, वहां पर नरक समीप। जहां पर प्रेम रहे, वहां बैकुंठ लोक सदीप।
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प्रेम ही राम, प्रेम ही रहीम
संत भाखै रविदास, प्रेम काज सदा निराला। प्रेम ही राम, प्रेम ही रहीम, प्रेम ही सब सारा।
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सभी मनुष्य समान
सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो।
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