रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े का क्या नाम था, महाराणा प्रताप के 'चेतक' जैसा था तेज

कुलदीप राघव

Jul 11, 2023

रानी लक्ष्मीबाई

भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी अप्पा के आश्रित थे। इनकी माता का नाम भागीरथी बाई था।

Credit: Social-Media/Wikipedia

महाराणा प्रताप की लंबाई

1850 में हुआ विवाह

1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। 1850 में मनुबाई यानी लक्ष्मीबाई से उनका विवाह हुआ।

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अंग्रेजों से लिया लोहा

21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव का निधन हो गया और झांसी पर अंग्रेजों की नजर आ गई। लेकिन रानी ने कह दिया कि वह अपनी झांसी नहीं देंगी। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध किया।

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ऐसे किया युद्ध

23 मार्च 1858 को झांसी का ऐतिहासिक युद्ध आरंभ हुआ। रानी अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दत्तक पुत्र दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंगरेजों से युद्ध करती रहीं।

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बादल था प्रिय घोड़ा

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के पास तीन घोड़े थे जिनके नाम सारंगी, बादल और पवन थे। अपने अंतिम युद्ध के समय रानी जिस घोड़े पर सवार थीं उसका नाम बादल था।

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किले से कूदा था बादल

रानी लक्ष्मीबाई अपने घोड़े पर बैठकर क़िले की 100 फीट ऊंची दीवार को पार कर गईं थी! कहा जाता है कि वो घोड़ा बादल था।

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बहादुर था बादल

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का प्रिय घोड़ा बादल बहुत बहादुर और तेज था।

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जान पर खेल गया बादल

उनका प्रिय घोड़ा बादल था लेकिन एक बार रानी को बचाते बचाते उस घोड़े ने अपनी जान दे दी।

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साहस के किस्से

आज इतिहास में साहसी घोड़ों का जिक्र होता है तो रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े बादल का जिक्र जरूर होता है।

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