Sep 30, 2024
पृथ्वी की सतह का लगभग 71% भाग जल यानी पानी से ढका हुआ है। पृथ्वी का 97% जल महासागरों (समुद्र) में पाया जाता है।
Credit: canva
इस पानी के बिना एक भी प्रतिशत जीने की संभावना नहीं है, हालांकि इतनी ज्यादा मात्रा में पानी होने की बावजूद, usbr.gov के अनुसार, पीने योग्य पानी महज 3% ही है।
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बहरहाल, हम जानेंगे पानी किसी भी रूप में हो लेकिन पृथ्वी पर पानी कहां से आया और samudra ka nirman kaise hua
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लगभग 4.5 अरब साल पहले, जब पृथ्वी का निर्माण हो रहा था, कहीं भी तरल पानी मौजूद नहीं था। पृथ्वी एक आग का गोला थी, पिघले हुए लावा जैसी दिखती थी।
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उस दौर में ज्वालामुखी विस्फोट आम बात थी। ज्वालामुखी जब फटता था तब बहुत पृथ्वी के गर्भ से बहुत कुछ बाहर निकलता था। जैसे मेटल, गैसेज (आक्सीजन हाइड्रोजन इत्यादि)।
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इसके बाद शुरू हुआ हिम युग, यानी पृथ्वी ने ठंडा होने शुरू किया। जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी होती गई, जल वाष्प संघनित होकर पृथ्वी की सतह पर लाखों वर्षों तक वापस बरसती रही।
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यह बाहर निकली हुई गैस बादलों का रूप लेने लगी, कहते हैं हजारों नहीं लाखों सालों तक पृथ्वी पर बारिश हुई थी। लेकिन आज के समय में जितना पानी पृथ्वी पर मौजूद है, इसका मात्र आधा ही बारिश के रूप में आया।
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इसके अलावा पृथ्वी पर पानी मौजूद का होने का एक कारण उल्का पिंड भी है, जो अपने साथ बर्फ की चट्टाने लाए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि महासागरों में बहुत सी मात्रा में पानी धूमकेतु, क्षुद्रग्रह और उल्काओं से आया है।
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कार्बोनेसियस चोंड्राइट, एक प्रकार का उल्कापिंड, जिसमें बहुत सारा पानी था। वैज्ञानिकों ने पाया है कि कार्बोनेसियस चोंड्राइट में पानी पृथ्वी पर पाए जाने वाले पानी से मेल खाता है।
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जैसे-जैसे पानी पृथ्वी की सतह पर मौजूद बड़े गड्ढों में भरता गया, महासागरों का निर्माण होता गया, आज पृथ्वी के हर निचले पर पानी मौजूद है।
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