Mar 7, 2024
महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जा रहा है, इस अवसर पर हम जानेंगे भारत की पहली महिला शिक्षिका के बारे में, जिनके क्रांतिकारी प्रयासों की गाथा आज भी गाई जाती है।
Credit: canva
प्रतिभा की धनी सावित्रीबाई फुले एक सामाजिक कार्यकर्ता, कवि और शिक्षक के रूप में भी जानी जाती हैं।
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सावित्रीबाई फुले एक सामाजिक कार्यकर्ता, कवि भी रह चुकी हैं। वे महिला मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भागीदार थीं और बाद में भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं।
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उन्होंने देश में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर लड़कियों के लिए शिक्षा प्रणाली को आकार दिया।
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सावित्रीबाई फुले का 9 साल की छोटी उम्र में 13 साल के ज्योतिबा (सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी) से विवाद करा दिया गया।
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सावित्रीबाई फुले ने समाज में छुआछूत का भी सामना किया, लेकिन दृढ़ संकल्प से उन्होंने शिक्षा पूरी की। इसके बाद शिक्षक बनने के लिए पुणे और अहमदाबाद में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में दाखिला लिया।
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सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर भारत का सबसे पहला गर्ल्स स्कूल शुरू किया। इसके बाद पुणे में महिलाओं के लिए तीन स्कूलों की स्थापना की।
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पुणे विश्वविद्यालय का नाम सावित्रीबाई फुले के नाम पर रखा गया है। उनका योगदान केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं था।
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सावित्रीबाई फुले ने शिशुहत्या की रोकथाम, विधवाओं को आश्रय की पेशकश, बाल विवाह और सती प्रथा के खिलाफ दृढ़ता से लड़ाई लड़ी।
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10 मार्च 1897 को सावित्रीबाई फुले का जीवन समाप्त हो गया, वे हमेशा सामाजिक सुधार में अग्रणी रहीं, और अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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