Mar 28, 2024
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लेकिन, कानपुर में सात दिन तक भौकाली होली खेली जाती है। यहां होली से ज्यादा गंगा मेला में हुड़दंग देखने को मिलता है।
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कानपुर में गंगा मेला की शुरुआत 1942 में हुई थी। 1942 में व्यापारियों ने इस ऐतिहासिक होली की नींव रखी थी।
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सन 1942 में ब्रिटिश सरकार ने होली खेलने पर बैन लगा दिया और व्यापारियों का लगान बढ़ा दिया, जिसके खिलाफ जमींदारों ने जंग छेड़ दी।
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अंग्रेज कलेक्टर ने जमींदारों को जेल में डाल दिया। फिर ग्रामीणों ने आजादी का बिगुल फूंक दिया और चारो तरफ प्रदर्शन करने शुरू कर दिए।
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जमींदारों की गिरफ्तारी से प्रदर्शन शुरू हुए और पूरे शहर में भयंकर होली खेली गई। ऐलान किया गया कि जब तक जमींदारों को नहीं छोड़ा जाएगा, तबतक लगातार होली खेली जाएगी।
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अंग्रेजों को हारकर अपना फैसला बदलना पड़ा और जेल से जमींदारों को छोड़ने के साथ लगान भी माफ करना पड़ा। इसी खुशी में ग्रामीणों ने रंग और गुलाल से यहां होली खेलने की शुरुआत की।
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वर्तमान में कानपुर हटिया होली मेला तक होली का उल्लास रहता है। इस बार 83वां होली का गंगा मेला 30 मार्च को मनाया जाएगा।
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शहर के जनरलगंज, नौघड़ा, बिरहाना रोड पर होरियारों की टोली भैंसा गाड़ी से रंग, अबीर और गुलाल की बौछार करती है।
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