Mar 16, 2024
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होली का इतिहास होलिका और भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। होलिका भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी।
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इस प्रकरण में होलिका जल गईं थी, लेकिन भक्त प्रह्लाद बच गए थे। लिहाजा, भक्त प्रह्लाद के बचने की खुशी में अगले दिन रंग-गुलाल लगाए जाने की शुरुआत हुई।
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शास्त्रों-पुराणों के मुताबिक, होली का त्योहार UP के झांसी जिले में पहली बार मनाया गया।
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झांसी के एरिकच्छ या एरच कस्बे को होली का उद्गम स्थल माना जाता है। यहीं डिकोली पर्वत से भक्त प्रहलात को हिरण्यकश्यप ने फिकवा दिया था।
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एरच दैत्याराज हिरण्यकश्यप की राजधानी है। डिकोली पर्वत पर आज भी होलिका दहन की जगह मौजूद है।
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एरच को भक्त प्रह्लाद की नगरी और होली का केंद्र माना जाता है। एरच में ब्रहम लिपि में एरिकच्छ लिखा है।
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