बाजीराव-मस्तानी के प्रेम की गवाही देता है ये इमारत
Maahi Yashodhar
Apr 23, 2024
13 मंजिले के इस इमारत को बाजीराव-प्रथम ने 1730 में बनवाया था।
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उस समय इसे बनाने में करीब 16,110 रुपये खर्च हुए थे।
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कहते हैं इसका निर्माण शनिवार के दिन हुआ था। इसलिए इसका नाम शनिवार वाड़ा पड़ा।
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करीब 85 सालों तक पेशवाओं का इसपर अधिकार रहा।
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पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी मस्तानी को उनके परिवार ने अपनाने से मना कर दिया था।
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जिसके बाद वह मस्तानी को लेकर शनिवार वाड़ा आ गए और काफी समय तक यहीं रहे।
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बाद में इसी के बगल में बाजीराव ने मस्तानी के लिए मस्तानी महल बनवाया था।
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शनिवार वाड़ा अपनी वास्तु की खूबसूरती के लिए जाना जाता था, जो आज भूतिया महल बनकर रह गया है।
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