Sep 11, 2023
1934 में शुरू हुई Martin-Baker Aircraft Company लड़ाकू विमानों के लिए इजेक्शन सीट बनाती है
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इन सीटों में एक रॉकेट सिस्टम होता है, जो लड़ाकू विमान में लगी इजेक्शन सीट समेत पायलट को इमरजेंसी में बाहर उछाल देता है
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उसके बाद पायलट पैराशूट की मदद से लैंड करके बच जाता है। सीट को केवल एक लीवर खींचकर अलग किया जा सकता है
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कंपनी की वेबसाइट के अनुसार ये इजेक्शन सीटों की विश्व में प्रमुख कंपनी है, जो 93 देशों की एयर फोर्स को ये सीटें देती है
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मार्टिन-बेकर 1946 से इजेक्शन सीटें बना रही है। इसने भारतीय एयर फोर्स और नेवी को कुल 1013 ऐसी सीटें दी हैं
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ये सीटें भारत के HJT-16, जगुआर, मिराज, हॉक, PC-7 MkII, तेजस, HJT-36 और राफेल विमानों में लगी हुई हैं
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भारत मार्टिन-बेकर का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक ग्राहक है
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रॉकेट रीच के अनुसार 2021 में मार्टिन-बेकर का रेवेन्यू करीब 3315 करोड़ रु रहा था
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मार्टिन-बेकर की शुरुआत आयरिश इंजीनियर जेम्स मार्टिन और ब्रिटिश आर्म्ड फोर्स के कैप्टन वैलेंटाइन हेनरी बेकर ने की थी
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