Sep 11, 2023
हाल ही में भारत आए जर्मनी के मंत्री वोल्कर विशिंग भी यूपीआई से पेमेंट करते दिखे। पूरी दुनिया भारत की इस तकनीकी से हैरान है।
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एक QR कोड और मोबाइल फोन पेमेंट करने के लिए काफी है। फिर चाहे सब्जी वाला हो, ग्रॉसरी वाला या फिर स्कूल फीस या कुछ भी। ऐसा तो अमेरिका-ब्रिटेन-चीन में भी नहीं संभव है।
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नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने ऐसा संभव कर दिखाया। साल 2008 में इसका गठन किया गया।
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NPCI का गठन आरबीआई और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की साझेदारी से हुआ। और आज यह पेमेंट के लिए भरोसे का दूसरा नाम बन गया है।
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भारत में यह कितना आसान हो चुका है कि एक रेड़ी पर सामान बेचने वाली महिला की ऑनलाइन पेमेंट लेने की तस्वीर खूब वायरल हुई थी।
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यूपीआई को लोकप्रिय होने में उसका किफायती और फास्ट होना रहा है। और इस कारनामे को एनपीसीआई के इंजीनियर्स ने सच कर दिखाया है।
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UPI की सफलता का आलम यह है कि भारत के अलावा अब फ्रांस, नेपाल, भूटान, सिंगापुर, श्रीलंका जैसे देशों में यह शुरू हो चुका है। और जी-20 समिट में भी यूपीआई के विस्तार की चर्चा हुई।
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NPCI के इंजीनियर्स ने तकनीकी को किफायती करने के लिए ओपेन सोर्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। और अब दुनिया उसकी मुरीद हो चुकी है।
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