Oct 29, 2023
स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों से कई तरीकों से टक्कर ली। इनमें एक था बिजनेस में अंग्रेजों से टक्कर लेना
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जिन लोगों ने बिजनेस में अंग्रेजों से टक्कर ली, उनमें से एक थे सन 1888 में जन्में गोविंदराम सेकसरिया, जो एक सामान्य बिजनेस फैमिली से थे
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16 साल की उम्र में अनाथ होने और एक बड़े परिवार को संभालने की जिम्मेदारी कंधों पर आने के बाद सेकसरिया ने नई शुरुआत की
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1900 के दशक में अपनी जन्मभूमि नवलगढ़ को छोड़ वे मुंबई चले गए और वहां कपास का बिजनेस शुरू किया
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ये वो दौर था, जब विदेशी कंपनियों को अंग्रेजों का पूरा सपोर्ट मिलता था, जबकि भारतीयों को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था
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सेकसरिया में अंग्रेजों से टक्कर लेकर आगे बढ़ने का जज्बा था। कुछ साल बाद उनकी फर्म को सरकार के कॉटन कॉन्ट्रैक्ट बोर्ड की सदस्यता मिल गई
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इसी की मदद से वे ईस्ट इंडिया कॉटन एसोसिएशन के मूल सदस्य और कपास इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गए
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कुछ समय बाद वे 'कॉटन किंग' कहलाने लगे। इस दौरान सेकसरिया स्वतंत्रता सेनानियों की आर्थिक मदद करते
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उन्होंने अस्पताल और एजुकेशनल इंस्टिट्यूशंस भी बनाए और उस दौर में लड़कियों को शिक्षा दिलाने का काम किया
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उनकी उद्योगपतियों, राजनेताओं और व्यापारियों के बीच अच्छी पकड़ थी। फिर वे सर्राफा बाजार, कई कमोडिटी बाजार और स्टॉक एक्सचेंजों में एंटर हुए
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वे 1934 में न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज के सदस्य बने और 1937 में गोविंदराम ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड शुरू की, जो आज भी कारोबार करती है
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